सीनियर ने मुझे व अन्य फ्रेशर्स को ‘सेक्सुअली असॉल्ट’ किया था: Ex-TCS कर्मी
EY India की कर्मचारी एना सेबेस्टियन की दुखद मौत के बाद वर्तमान ‘वर्क-कल्चर’ पर एक बड़ी बहस छिड़ गई है। Big 4 कही जाने वाली Deloitte, KPMG, PwC और Ernst & Young (EY) पर भी सवाल उठे। TCS की पूर्व कर्मचारी ने भी सोशल मीडिया पर अपनी आपबीती सुनाई।
Ex-TCS Employees Speak Out on Workplace Harassment After EY India Controversy | हाल ही में Ernst & Young (EY) में काम करने वाली 26 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट, एना सेबेस्टियन पेरायिल (Anna Sebastian Perayil) की दुखद मौत ने ऑफिसों के तनाव और वर्क-कल्चर पर एक बड़ी बहस छेड़ दी है। एना के निधन के बाद न केवल EY India बल्कि कई नामी कॉरपोरेट कंपनियों के पूर्व व मौजूदा कर्मचारी खुलकर सामने आए और अपनी ‘भयानक’ अनुभवों से जुड़ी आपबीती बताते दिखे। ऐसे में अब भारत में कई बड़े कॉरपोरेट्स ‘वर्कप्लेस स्ट्रेस’ और ‘टॉक्सिक वर्क कल्चर’ को लेकर सवालों के घेरे में है।
इन मुद्दों की शुरुआत एना की मां द्वारा EY India के चेयरमैन को लिखे एक पत्र से हुई, जिसमें उन्होंने कहा कि अत्यधिक काम के तनाव के चलते ही उनकी बेटी (एना सेबेस्टियन) की मौत हुई। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने यह भी बताया था कि कंपनी के किसी भी सहकर्मी ने एना अंतिम संस्कार में हिस्सा नहीं लिया। शायद यह कॉर्पोरेट संबंधों और वर्कप्लेस की संस्कृति के एक अन्य पहलू को भी उजागर करता है।
Workplace Harassment in India
एना की दुखद मौत से आहत अन्य कई कॉरपोरेट कर्मचारियों ने भी अपने अनुभव साझा किए। इनमें ‘Big 4’ कही जाने वाली Deloitte, KPMG, PwC और Ernst & Young (EY) को लेकर अब तमाम तरह की बातें कहीं जा रही हैं। एक पूर्व TCS कर्मी ने भी एक गंभीर घटना का जिक्र किया। इनमें से एक ने खुद को Deloitte का पूर्व कर्मचारी बताते हुए अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल पर कई खुलासे किए।
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Deloitte में 20 घंटे/दिन का काम
Deloitte के एक पूर्व कर्मचारी ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व में Twitter) पर अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि उन्होंने Deloitte में काम करते हुए कई बार उन्हें दिन में 20 घंटे तक काम करना पड़ा। उन्होंने एना से सहानुभूति व्यक्त की और कहा, “मैं पूरी तरह समझ सकता हूं कि एना ने क्या अनुभव किया होगा। कॉरपोरेट जीवन कठिन होता है, और खुशी है कि मैं समय रहते इससे बाहर निकल सका।”
इस पोस्ट में उन्होंने अपनी टीम के साथ 5 बजे सुबह की बातचीत के स्क्रीनशॉट्स भी साझा किए, जिसमें वे अपने अत्यधिक काम और स्वास्थ्य के बारे में चर्चा कर रहे थे।
With EY case getting some lights. I would like to share my personal experience at Deloitte.
Attaching some screenshots of chats with my team mate – friend where we were discussing the work and our health at 5AM in the morning.
We use to work for around 20 hours and they won’t… pic.twitter.com/EjtqWjhwSm
— Jayesh Jain (@arey_jainsaab) September 18, 2024
Workplace Harassment: TCS में भी उत्पीड़न?
Deloitte की इस घटना के साथ ही, Tata Consultancy Services (TCS) की एक पूर्व कर्मचारी ने भी अपनी कहानी साझा की। उन्होंने बताया कि जब वह एक फ्रेशर के रूप में TCS में काम कर रही थीं, तो उनके टीम लीड ने न केवल उन्हें, बल्कि अन्य फ्रेशर्स को भी ‘यौन उत्पीड़न’ का शिकार बनाया था। इसके साथ ही, जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो उन्हें और अधिक काम का दबाव डाला गया।
उन्होंने X पर पोस्ट किया, “जब मैं TCS में एक फ्रेशर थी और एक साल के अनुबंध पर थी, मेरे टीम लीड ने मुझे और अन्य फ्रेशर्स को यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया और काम का दबाव भी बढ़ा दिया। मेरे पास दो ही विकल्प थे – या तो काम करते रहो, या फिर उस कंपनी को कमाई से अधिक पैसे चुकाओं।”
When I was a fresher in TCS on a contract bond for a year while my Team Lead was s*xually harassing me & other freshers along with inundating us with work pressure due to our resistance to him, I had the “choice” of paying back TCS more money than I earned or keep working w him.
— Roma (@romaticize) September 19, 2024
Narayana Murthy के 70 घंटे वर्क वीक पर भी सवाल
इन सब के बीच लोगों ने Infosys को-फाउंडर नारायण मूर्ति के 70 घंटे के कार्य सप्ताह (Work Week) के सुझाव को भी याद करते हुए, उसकी आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह कुछ भारतीय संस्थापकों और प्रबंधकों में देखी जाने वाली मानसिकता को दर्शाता है, जो कर्मचारियों को काम पर नहीं रखते हैं, बल्कि उनसे गुलामों की तरह काम करने की अपेक्षा करते हैं। वहीं कुछ यूजर्स का कहना रहा कि कंपनियों के लिए कर्मचारी सिर्फ एक ‘डोरमैट’ होते हैं, जिन्हें इस्तेमाल कर फेंक दिया जाता है।
Jigar Joshi, was a deputy manager with Deloitte in June 202.
He passed away at his desk. He was in his mid 20s. The cause of death was stress, anxiety and lack of sleep.
This news was not widely known even within Deloitte office.
Anna’s case in EY Pune is not isolated.
— Easy Rider (@Koushik_laribee) September 18, 2024
बदलाव की जरूरत (Workplace Harassment)
इन घटनाओं से यह साफ है कि कॉरपोरेट जगत में अत्यधिक काम करने को अक्सर “फ्लेक्स” के रूप में देखा जाता है, जहां अधिक काम करने वाले कर्मचारियों को सराहा जाता है। एक यूजर ने सोशल मीडिया पर लिखा:
“मैंने अक्सर देखा है कि ऑफिस में जो लंबे समय तक काम करता है, उसे एक तरह के ‘फ्लेक्स’ के रूप में देखा जाता है। वरिष्ठ सहयोगी अक्सर कहते हैं, ‘अरे तुम 6 बजे लॉगआउट कर दिए? मैंने तो 8 बजे तक काम किया।'”
Deloitte, EY, और TCS तमाम बड़ी कंपनियों पर लगने वाले अगर यह आरोप सच हैं तो यह साफ है कि भारतीय कॉरपोरेट जगत में वर्क-लाइफ बैलेंस की कितनी जरूरत है। अत्यधिक काम और टॉक्सिक वर्कप्लेस कल्चर केवल कर्मचारियों के शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। कर्मचारियों को भी यह समझना चाहिए कि अपने अधिकारों को जाने और तय सीमा तक काम करने के बाद, अधिक काम करने को लेकर अपने साथी या किसी सहकर्मी पर जबरन दबाव न डालें।
नोट: ये बातें सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा उनकी प्रोफाइल पर साझा की गई पोस्ट के आधार पर प्रदर्शित की गई हैं। NorthLiveNews इनमें से किसी भी यूजर्स के वर्क बैकग्राउंड या आरोपों की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।