EY India के एक पूर्व कर्मचारी का कहना है कि कंपनी में काम करने के दौरान उनसे रोज 17-18 घंटे काम करने को कहा जाता था। और शिकायत करने पर ऑफिस मीटिंग्स में उनका मजाक बनाया जाता था।
EY India Ex-Employee Shares Toxic Work Culture Stories |एर्न्स्ट एंड यंग (EY) इंडिया के अध्यक्ष राजीव मेमानी ने हाल ही में EY कर्मचारी एनासेबस्टियन (Anna Sebastian Death Case) की मौत पर एक लिंक्डइन पोस्ट शेयर किया। इसमें राजीव ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। बता दें, इसी साल मार्च में EY India की ऑडिट और एश्योरेंस टीम में शामिल हुई 26-वर्षीय एना सेबस्टियन की चार महीने बाद ही मौत हो गई।
उनकी मां का आरोप है कि कंपनी के अत्यधिक काम के दबाव और तनाव के चलते एना का स्वास्थ्य बिगड़ा था। अन्ना सेबस्टियन की माँ, अनीता ऑगस्टिन, ने राजीव मेमानी को एक पत्र लिखकर EY की कार्य संस्कृति पर कड़ी आलोचना की है।
EY India के Work Culture पर उठे सवाल
अनीता ऑगस्टिन ने बताया कि उनकी बेटी “कड़ी मेहनत” के बोझ तले इतनी दब गई थीं कि उन्हें नींद लेने का भी समय नहीं मिलता था। एना कई रातें देर तक काम करती थीं। इतना ही नहीं बल्कि वीकेंड में भी उसे लॉग-इन करके काम करने को कहा जाता था और अतिरिक्त कार्य सौंपे जाते थे।
वैसे सामने आ रही एक कथित लीक ईमेल के हवाले से EY India के बॉस, राजीव मेमानी ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि काम के दबाव के चलते एना की जान गई है।
पूर्व EY India कर्मी ने Work Culture को लेकर किए खुलासे
राजीव मेमानी के लिंक्डइन पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए, एक पूर्व EY कर्मचारी ने अपने “भयानक” अनुभवों को साझा किया। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व कर्मी ने लिखा कि एक निदेशक ने उन्हें 17 से 18 घंटे काम करने के लिए कहा, और जब उन्होंने इस मामले की शिकायत HR से की, तो कोई समाधान नहीं मिला।
पूर्व कर्मचारी ने कहा, “जब मैंने HR को रिपोर्ट किया, तो उन्होंने कहा कि यह शायद ग्राहक की मांग के कारण हो रहा था। अपनी चिंताओं को व्यक्त करने पर मेरा टीम मीटिंग के दौरान अक्सर मजाक बनाया जाता था।” लेकिन उन्होंने बताया कि महामारी के दौरान स्थिति और भी खराब हो गई। EY India के पूर्व कर्मचारी ने कहा कि उन्हें सुबह 8:30 बजे से लेकर आधी-रात तक कॉल आते थे, जिससे वह इतने तनाव में आ गए कि बिना किसी अन्य नौकरी के ऑफर के कंपनी से इस्तीफा दे दिया।
उन्होंने कहा कि अफ्रीका में छह महीने तक ऑनसाइट काम करना एक ‘भयानक अनुभव’ था, जहां उनके मैनेजर टीम से प्रतिदिन कम से कम 10 घंटे काम कराते थे, यहां तक कि वीकेंड पर भी। हिंदू त्योहारों के दौरान मीटिंग ली जाती थीं। पूर्व कर्मचारी ने बताया कि
“मेरे एंगेजमेंट मैनेजर ने हमसे लगभग दो महीने तक लगातार सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक काम करवाया, जिसमें वीकेंड भी शामिल था। मीटिंग अक्सर हिंदू त्योहारों के दौरान ली जाती थीं।”
वैसे EY India के प्रमुख राजीव के लिंक्डइन पोस्ट पर कई ऐसे कॉमेंट दिखेंगे, जिसमें EY India के पूर्व कर्मचारी होने का दावा करते हुए, कंपनी के वर्क कल्चर पर तमाम तरीके के सवाल उठा रहे हैं और आपबीती बयां कर रहे हैं।
Anna Sebastian Death Case: सरकार ने शुरू की जांच
इस बीच, केंद्रीय राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने कहा कि श्रम मंत्रालय एना सेबस्टियन की मौत की जांच करेगा। यह भी खबर आ रही है कि एना के पिता ने कंपनी के खिलाफ फिलहाल किसी तरह का कोई कानूनी केस करने से मना कर दिया है।
वर्क-लाइफ बैलेंस पर बहस: Anna Sebastian Death
इस घटना ने एक बार फिर ऑफिसों में अत्यधिक काम के दबाव और मानसिक तनाव के मुद्दे को उजागर कर दिया है। युवा प्रोफेशनल्स अक्सर नई नौकरी में खुद को साबित करने के लिए अत्यधिक काम करते हैं, लेकिन काम और जीवन के बीच संतुलन न बना पाने के कारण यह उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ता है। कई कंपनियों में भी आज के समय दिन-रात काम करने की हिदायत दी जाती है और कहा जाता है कि करियर में आगे बढ़ता है तो निजी जीवन से ज़्यादा काम को प्राथमिकता दो।
लेकिन हमनें समझना होगा कि यह बिल्कुल गलत प्रथा है। हमें यह समझना होगा कि ऐसे बहकावे में लेकर कई लोग अपना काम निकलवाना चाहते हैं और यहाँ तक कि जब कर्मचारी पैसों को बढ़ाने की बात करते हैं तो उन्हें निकाल देने तक की धमकी दी जाती है। काम हमेशा से ही ज़रूरी होता है, लेकिन उसके साथ ही खुद के लिए समय निकालना, परिवार और दोस्तों के लिए समय देना भी उतना ही आवश्यक है। याद रहे! हम इंसान हैं कोई मशीन नहीं!
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