कुमार विश्वास: कभी ₹117 का फॉर्म भर हुए थे रिजेक्ट, अब तक उन्हीं IITs से कमाए ₹117 करोड़
भारत के प्रतिष्ठित कवि, मोटिवेशनल स्पीकर और साहित्यकार, कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) का नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है, वह देश-दुनिया के तमाम युवाओं के लिए प्रेरणा का प्रतीक बन चुके हैं। उनकी कहानी न केवल असफलता से सफलता तक के सफर की मिसाल है, बल्कि यह भी सिखाती है कि कैसे मुश्किल हालातों में आत्मविश्वास, मेहनत और जुनून के बल पर जीवन को नई दिशा दी जा सकती है। साहित्य में रुचि के चलते उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और हिंदी साहित्य में अपनी पहचान बनाने की ठानी। उन्होंने हिंदी साहित्य में एम.ए. और पीएचडी की डिग्री हासिल की।
डॉ. कुमार विश्वास का जन्म 10 फरवरी 1970 को उत्तर प्रदेश के पिलखुवा में हुआ। उनके पिता डॉ. चंद्रपाल शर्मा एक लेक्चरर थे और चाहते थे कि उनका बेटा इंजीनियर बने। पिता की इच्छा के अनुरूप कुमार विश्वास ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू भी की, लेकिन जल्द ही उन्हें एहसास हुआ कि यह उनका सपना नहीं है। जनसत्ता की एक रिपोर्ट के हवाले से, कुमार विश्वास ने एक बार अपने कोटा में आयोजित मोटिवेशनल सम्मेलन में बताया कि उन्होंने IIT के लिए 117 रुपये का फॉर्म भरा था, लेकिन चयन नहीं हो पाया। उस असफलता ने उन्हें मायूस नहीं किया, बल्कि प्रेरित किया कि वे अपनी असली मंजिल की तलाश करें। आज उसी IIT से वह अपनी कविताओं और मोटिवेशनल कार्यक्रमों के जरिए 117 करोड़ रुपये कमा चुके हैं।
Kumar Vishwas: संघर्षों का सफर
कुमार विश्वास ने अपनी साहित्यिक यात्रा की शुरुआत मंचीय कविताओं से की। उनकी पहली पहचान 1994 में मिली, जब उनकी कविताओं ने श्रोताओं के दिलों को छुआ। धीरे-धीरे उन्होंने देशभर में कवि सम्मेलनों और मंचीय प्रस्तुतियों में नाम कमाया। कुमार विश्वास की कविता “कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है” युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हुई और उनके करियर का टर्निंग पॉइंट बनी। यह कविता न केवल एक प्रेम गीत है, बल्कि उनके जीवन की कठिनाइयों और सकारात्मकता की झलक भी दिखाती है।
ये भी पढ़ें – अतुल सुभाष पर हंसने वाली जज रीता कौशिक पर भी कसेगा शिकंजा?
कुमार विश्वास का कहना है, “आईआईटीएन होना एक पेंटिंग है, लेकिन मनुष्य होना एक कैनवास है।” उनका मानना है कि असफलता केवल एक अनुभव है और उसे सकारात्मक ऊर्जा में बदला जा सकता है। वे कहते हैं कि जब भी कोई सपना टूटता है, उसमें नई ऊर्जा का जन्म होता है। यह हम पर निर्भर करता है कि हम उस ऊर्जा का उपयोग कैसे करते हैं—बम बनाने के लिए या रोशनी करने के लिए।
कवि से मोटिवेशनल स्पीकर तक का सफर
कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) ने अपनी कविताओं के जरिए जहां प्रेम, जीवन और समाज के मुद्दों पर चर्चा की, वहीं अपनी मोटिवेशनल बातों से लाखों युवाओं को प्रेरित किया। उनके विचार आत्मविश्वास, मेहनत और जीवन में अच्छे इंसान बनने पर जोर देते हैं। कुमार विश्वास ने अपनी कविताओं और लेखनी के जरिए समाज में कई सकारात्मक बदलाव किए। उन्होंने सामाजिक मुद्दों पर खुलकर बात की और समाज को जागरूक करने का प्रयास किया। उनकी किताबें और कविताएं साहित्य प्रेमियों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। कुमार विश्वास के प्रेरणादायक विचार जीवन के हर मोड़ पर मार्गदर्शन करते हैं। उनके कई वाक्य अक्सर संघर्षों या हताशा के मौक़ों पर मानों नई जान फूंकने का काम कर सकते हैं, उदाहरण के लिए (उनके ही शब्दों में):
- “हिम्मत का सागर लांघो तो लहर-लहर जयकारा होगा।”
- “दिल टूटे या एटम टूटे, दुनिया में उजियारा होगा।”
- “कोई भी लक्ष्य हमारे जीवन से बड़ा नहीं है। सबसे बड़ी चीज हमारी खुद की जिंदगी है।”
कुमार विश्वास का जीवन यह सिखाता है कि मेहनत और आत्मविश्वास से बड़ी कोई ताकत नहीं होती। वे छात्रों को हमेशा यह संदेश देते हैं कि जीवन में सफल होने के लिए सिर्फ मेहनत ही काफी नहीं, बल्कि एक अच्छा इंसान बनना भी जरूरी है। उनकी कहानी यह साबित करती है कि अगर इंसान में आत्मविश्वास हो और अपने सपनों को पाने की दृढ़ इच्छाशक्ति हो, तो कुछ भी असंभव नहीं। उनकी सफलता इस बात का उदाहरण है कि असफलता केवल एक पड़ाव है, मंजिल नहीं। अगर हम आत्मविश्वास और मेहनत से अपने सपनों का पीछा करें, तो कोई भी चुनौती हमें रोक नहीं सकती।
ये भी पढ़ें – Aircel के मालिक के बेटे ने ठुकराई ₹40,000 करोड़ की संपत्ति, बने बौद्ध भिक्षु