बड़ा फैसला! Electoral Bonds हुए बैन, Supreme Court ने कही ये तमाम बातें?
इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर सुप्रीम कोर्ट ने बैन लगा दिया है. इसे 6 साल पहले पॉलिटिकल फंडिंग के लिए लागू किया गया था. फैसले से जुड़े 10 सवालों से जवाब जान लीजिए.
आज से लगभग 6 साल पहले बीजेपी सरकार द्वारा पेश इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को सुप्रीम कोर्ट ने बैन कर (Electoral Bonds Ban) दिया है. इसका यूज इंडिया में पॉलिटिकल पार्टियों को फंडिंग या चंदा देने में किया जाता था. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली पाँच जजों की बेंच ने ये फैसला (Verdict) सुनाया है.
अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक बताते हुए कई अहम बातें कहीं. साथ ही साथ इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को लेकर SBI और चुनाव आयोग को भी कुछ निर्देश दिए. इनके बारे में डिटेल में जानते हैं.
Electoral Bonds Ban Supreme Court Verdict – Main Points (FAQs)
क्या अभी से इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम बंद हो जाएगी? (Question – 1)
सुप्रीम कोर्ट ने देश के भीतर इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर ‘तत्काल बैन‘ लगाया है. अदालत के निर्देश के अनुसार, आज से ही देश में ये पॉलिटिकल फंडिंग की ये स्कीम बंद हो जाएगी.
किन जजों की बेंच ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम बंद करने का फैसला दिया? (Question – 2)
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर निर्णय सुनाया. बेंच में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पर्दीवाला और जस्टिस मनोज मिश्र रहे. सभी ने सर्वसम्मति से निर्णय किया.
इलेक्टोरल बॉन्ड फैसले में SBI को क्या निर्देश दिए गए? (Question – 3)
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक या SBI को 2019 से अब तक इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए दिए गए सभी चंदे का पूरा ब्योरा चुनाव आयोग (इलेक्शन कमीशन) को सौंपने के लिए कहा है. इसमें इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदे की राशि, देने वाले का विवरण, प्राप्तकर्ता का विवरण सब जानकारी शामिल होगी.
साथ ही राजनीतिक दल द्वारा कैश किए गए हर इलेक्टोरल बॉन्ड की तारीख की भी डिटेल होगी. SBI को ये सारी जानकारी 3 सप्ताह के भीतर यानी 6 मार्च 2024 तक इलेक्शन कमीशन को देनी होगी.
चुनाव आयोग (इलेक्शन कमीशन) SBI द्वारा दिए गए ब्योरे का क्या करेगा. (Question – 4)
सर्वोच्च अदालत ने चुनाव आयोग को निर्देशित किया है कि एसबीआई से जानकारी मिलने के पारी, पूरा ब्योरा 13 मार्च, 2024 तक ऑफिशियल वेबसाइट पर पब्लिश करना होगा. आम जनता इस पूरे ब्योरे को एक्सेस या पढ़ कर सकेगी.
इलेक्टोरल बॉन्ड फैसले में SC का मुख्य टिप्पणी क्या रहीं? (Question – 5)
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखने के पीछे ‘ब्लैक मनी पर नकेल कसने‘ जैसा तर्क सही नहीं है. यह सीधे तौर पर ‘सूचना के अधिकार का उल्लंघन‘ है. SC ने कहा कि कंपनी एक्ट में संशोधन मनमाना और असंवैधानिक कदम है.
इसके जरिए कंपनियों की ओर से राजनीतिक दलों को असीमित फंडिंग देने का रास्ता साफ है. राजनीतिक दलों से आर्थिक मदद के बदले अन्य फेवर की प्रथा को बढ़ावा मिल सकता है.
किसने की थी इलेक्टोरल बॉन्ड पर ये याचिका, जिस पर हुई सुनवाई? (Question – 6)
इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में याचिका एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), कांग्रेस नेता जया ठाकुर और CPM की ओर से की गई थी. इस मामले में कुल 4 याचिकाएं दाखिल की गई थीं.
केंद्र की ओर से कौन थे वकील? (Question – 7)
केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा.
याचिकाकर्ताओं की ओर से किसने की पैरवी? (Question – 8)
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ एडवोकेट कपिल सिब्बल पेश हुए.
इसके पहले कब हुई थी सुनवाई? (Question – 9)
CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली इस बेंच के सामने मामले की सुनवाई 1 नवंबर 2023 को शुरू हुई. इसके बाद 2 नवंबर 2023 को अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
क्या है Electoral Bonds Scheme?
पीएम मोदी ने नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने वर्ष 2017 में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम का ऐलान किया था. इसे 29 जनवरी 2018 को कानून लाकर लागू किया गया. इलेक्टोरल बॉन्ड भारत में सभी राजनीतिक दलों के लिए फंडिंग/चंदा हासिल करने का एक कानूनी तरीका है.
ये एक वचन पत्र जैसा है, जिसे भारत का कोई भी नागरिक या कंपनी भारतीय स्टेट बैंक (SBI) से खरीद सकते हैं. इसके लिए KYC के साथ एक बैंक अकाउंट होना आवश्यक है. एसबीआई की चुनिंदा ब्रांच पर जाकर ₹1,000 से लेकर ₹1 करोड़ तक के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद सकते हैं. इलेक्टोरल बॉन्ड्स सिर्फ 15 दिनों की अवधि के लिए वैलिड होते है.
इलेक्टोरल बॉन्ड में पैसे देने वाले का नाम नहीं होता. अपनी गोपनीयता बनाए रखते हुए किसी भी पॉलिटिकल पार्टी को चंदा दे सकते हैं. इसमें चंदा देने वाले का नाम सार्वजनिक नहीं किया जाता.
इसका यूज करने के लिए राजनीतिक दल को ‘जन प्रतिनिधित्व अधिनियम’ के तहत पंजीकृत होना चाहिए. सिर्फ उन्हीं पॉलिटिकल पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड चंदा दिया जा सकता है, जिन्हें लोकसभा या विधानसभा के पिछले चुनाव में डाले गए वोटों का कम से कम 1 प्रतिशत वोट प्राप्त हुआ हो.
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