Anupam Mittal: ‘टेक-तानाशाही’ के खिलाफ भारतीय स्टार्टअप ईकोसिस्टम की एक बुलंद आवाज
डिजिटल मोनोपॉली के विरुद्ध अनुपम मित्तल क्यों निरंतर उठा रहे हैं आवाज?
Shaadi डॉट कॉम का नाम काफी समय से लोगों ने सुन रखा था. और शार्क टैंक इंडिया के बाद कंपनी के फाउंडर और सीईओ, अनुपम मित्तल को भी व्यापक पहचान मिली. शो में नजर आने वाले अनुपम को अपने साफगोई अंदाज के चलते लाखों दर्शकों द्वारा पसंद किया (Anupam Mittal – A Strong Voice Against Digital Monopoly) जाता रहा है.
पर अनुपम का यह अंदाज उनके व्यक्तित्व का हिस्सा है, क्योंकि शो के बाहर भी अनुपम बिना लाग-लपेट के कई ऐसे मुद्दों पर अपनी बात रखते दिखाई पड़ते हैं, जिन विषयों से कई बिजनेस लीडर बचने की कोशिश करते हैं. ऐसा ही एक विषय है मौजूदा ‘डिजिटल दौर में चुनिंदा दिग्गज टेक कंपनियों का मनमाना रवैया’.
जैसे-जैसे डिजिटल बाजार बड़ा आकार लेता गया, इसको लेकर कई चिंताएं भी सामने आने लगीं. आज के समय ‘डिजिटल मोनोपॉली’ ऐसी ही एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य देशों की डिजिटल इंडस्ट्री में ये चुनौती देखनें को मिल रही है. पर भारत जैसे विशाल बाजार में इसको गंभीरता से लेने की अधिक आवश्यकता महसूस होती है.
Anupam Mittal – A Strong Voice Against Digital Monopoly
People Group और Shaadi.com के सीईओ, अनुपम मित्तल भारत में इस समस्या के प्रति एक बुलंद आवाज बने हैं. वह भारतीय स्टार्टअप जगत के उन चुनिंदा प्रमुख चेहरों में से एक हैं, जो देश में संबंधित नियामकों से लेकर जनता के बीच खुलकर डिजिटल तानाशाही की बात करते हैं.
इस मुद्दे को उठाने का उनका अंदाज भी खास रहा है. जैसे कई मौकों पर अनुपम कुछ नामी टेक कंपनियों को ‘डिजिटल ईस्ट इंडिया कंपनी‘ तक कहते नजर आए. और तो और उन्होंने ही इंटरनेट में ‘डिजिटल लगान‘ जैसे शब्दों को पहचान दिलाई.
नए मामले के तहत, 15 मार्च को Google की हालिया बिलिंग पॉलिसी के खिलाफ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने जांच शुरू की है. अनुपम मित्तल ने भी सीसीआई के इस कदम का स्वागत किया, लेकिन अपने अंदाज में!
गूगल के विरुद्ध सीसीआई की जांच के मामले में मनीकंट्रोल पर प्रकाशित एक खबर के हवाले से अनुपम मित्तल की प्रतिक्रिया सामने आई. अनुपम कहते हैं;
‘हालांकि वर्तमान में इस मामले की जांच चल रही है, पर यह देखकर खुशी होती है कि CCI ने न सिर्फ उद्योग और उपभोक्ताओं के हित में, बल्कि CCI के ही पूर्व आदेश के बारे में झूठी कहानियां गढ़ने को लेकर Google के खिलाफ भी प्रथम दृष्टया कड़ा रुख अपनाया है.’
‘CCI इस महाभारत में हमारे लिए ‘कृष्ण’ के रूप में सामने आया है.’
अनुपम ने इस संदर्भ में एक पोस्ट भी साझा किया.
Google team right now👇🏼 pic.twitter.com/ojNQYpESX3
— Anupam Mittal (@AnupamMittal) March 15, 2024
Digital Monopoly के खिलाफ बोलना क्यों है जरूरी?
इस बात में कोई दोहराय नहीं है कि जांच और किसी को दोषी ठहराना, ये सब नियामक एजेंसियों और अदालतों का कार्य है. लेकिन किसी भी तरह के बिजनेस ईकोसिस्टम [भले वह डिजिटल ही क्यों न हो] में ‘मोनोपॉली’ या ‘किसी के द्वारा अपनी मजबूत स्थिति के गलत इस्तेमाल’ पर प्रश्न चिन्ह खड़े करना भी जरूरी है. खासकर अगर आप उस इंडस्ट्री का हिस्सा हों.
कई बार देखा जाता है कि बड़ी टेक कंपनियों की अनैतिक प्रथाओं के खिलाफ अन्य कंपनियां या उनके संचालक मुखर रूप से कुछ नहीं कह पाते. ऐसा शायद इसलिए होता है क्योंकि वो इन्हीं दिग्गज कंपनियों की कुछ सेवाओं पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आश्रित होते हैं.
पर ये उचित नहीं है. आवश्यकता है कि ऐसी गलत प्रथाओं को समय रहते एड्रेस किया जाए, क्योंकि इंटरनेट अभी और पाँव पसारने वाला है. आने वाले समय में डिजिटल इंडस्ट्री का आकार और प्रभाव दोनों बढ़ने वाले हैं. इसलिए जरूरी है कि शुरुआती स्तर पर ही कुप्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाकर उन पर अंकुश लगाने के प्रयास किए जाएं.