गौरव वल्लभ ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा, ‘5 ट्रिलियन में कितने जीरो’ वाला बयान हुआ था वायरल
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि न तो वो सनातन विरोधी नारे लगा सकते हैं और न ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकते हैं।
राजनीति: कांग्रेस पार्टी को गुरुवार (4 अप्रैल) के दिन तब एक बड़ा झटका लगा जब तेज-तर्रार प्रवक्ता गौरव वल्लभ (Gourav Vallabh) ने पार्टी छोड़ने (Quits Congress) का ऐलान कर दिया। गौरव वल्लभ ने कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा (Resigns) दे दिया है। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के नाम विस्तारपूर्वक एक पत्र भी लिखा है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ का कहाँ रहा कि कांग्रेस पार्टी आज दिशाहीन हो गई है। ऐसे में वह खुद पार्टी में असहज महसूस कर रहे हैं। दिलचस्प रूप से गौरव ने एक बात और कही कि न तो वो सनातन विरोधी नारे लगा सकते हैं और न ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकते हैं। और इसलिए वह यह कदम उठा रहे हैं।
याद दिला दें, गौरव वल्लभ वही व्यक्ति हैं जिनका बीजेपी के नेता संबित पात्रा के साथ एक वीडियो वायरल हुआ था। इस वीडियो को लगभग सभी लोगों ने देखा होगा। इसमें गौरव संबित से “5 ट्रिलियन में कितने जीरों होते हैं?” यह सवाल पूछते नजर आए। यह वीडियो वायरल हो गया आयर गौरव वल्लभ की भी पहचान देश भर में और बढ़ गई।
Gourav Vallabh Quits Congress
गौरव वल्लभ के मुताबिक कांग्रेस पार्टी अपने असल मार्ग से भटक गई है। गौरव कहते हैं कि वह बीतें कुछ सालों से पार्टी में कोई सही स्टैंड तक नहीं ले पा रहे हैं। पार्टी में बौद्धिक और नए आइडिया वाले युवाओं की कोई कद्र नहीं हो रही है। जमीनी स्तर पर पार्टी किसी से जुड़ नहीं पा रही है।
गौरव वल्लभ ने कांग्रेस को लेकर क्या कहा?
कांग्रेस अध्यक्ष के नाम लिखी अपनी लंबी चिट्ठी में गौरव वल्लभ लिखते हैं कि ‘भावुक हूं. मन व्यथित है. काफी कुछ कहना चाहता हूं, लिखना चाहता हूं, बताना चाहता हूं। लेकिन, मेरे संस्कार ऐसा कुछ भी कहने से मना करते हैं जिससे दूसरों को कष्ट पहुंचे। फिर भी मैं आज अपनी बातों को आपके समक्ष रख रहा हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि सच को छुपाना भी अपराध है, और मैं अपराध का भागी नहीं बनना चाहता।’
“महोदय, मैं वित्त का प्रोफेसर हूं। कांग्रेस पार्टी की सदस्यता हासिल करने के बाद पार्टी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया। कई मुद्दों पर पार्टी का पक्ष दमदार तरीके से देश की महान जनता के समक्ष रखा। लेकिन पिछले कुछ दिनों से पार्टी के स्टैंड से असहज महसूस कर रहा हूं।”
“जब मैंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन किया तब मेरा मानना था कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है, जहां पर युवा, बौद्धिक लोगों की, उनके आइडिया की क़द्र होती है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मुझे यह महसूस हुआ कि पार्टी का मौजूदा स्वरूप नये आइडिया वाले युवाओं के साथ ख़ुद को एडजस्ट नहीं कर पाती। पार्टी का ग्राउंड लेवल कनेक्ट पूरी तरह से टूट चुका है, जो नये भारत की आकांक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही है। जिसके कारण न तो पार्टी सत्ता में आ पा रही और ना ही मज़बूत विपक्ष की भूमिका ही निभा पा रही हैं। इससे मेरे जैसा कार्यकर्ता हतोत्साहित होता है। बड़े नेताओं और ज़मीनी कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी पाटना बेहद कठिन है जो कि राजनैतिक रूप से जरूरी है। जब तक एक कार्यकर्ता अपने नेता को डायरेक्ट सुझाव नहीं दे सकता तब तक किसी भी प्रकार का सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है।”
गौरव वल्लभ ने सनातन धर्म को लेकर कही बड़ी बात
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः तस्माधर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत् ॥
गौरव ने कहा कि वह अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के संबंध मेम भी कांग्रेस पार्टी के स्टैंड से क्षुब्ध हैं। गौरव बताते हैं कि वह जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक। उन्होंने पार्टी व गठबंधन से जुड़े कई लोग सनातन के विरोध में बोलने का भी आरोप लगाया और कहा कि वह इस पर चुप नहीं रह सकते।
गौरव ने कहा कि इन दिनों पार्टी गलत दिशा में आगे बढ़ रही है। एक ओर कांग्रेस जाति आधारित जनगणना की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर संपूर्ण हिंदू समाज के विरोधी नजर आ रही है। इस उन्होंने कांग्रेस के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ बताया।
कांग्रेस की आर्थिक नीति से खुश नहीं गौरव?
खुद पेशे से आर्थिक विषय के प्रोफेसर गौरव वल्लभ कहते हैं कि आर्थिक मामलों पर वर्तमान समय में कांग्रेस का स्टैंड हमेशा देश के वेल्थ क्रिएटर्स को नीचा दिखाने का, उन्हें गाली देने का रहा है। ऐसा लगता है कि कांग्रेस आज उन आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण व वैश्वीकरण (एलपीजी) नीतियों के खिलाफ हो गई है, जिसको देश में लागू कराने का पूरा श्रेय ही दुनिया ने कांग्रेस को दिया। उन्होंने कहा:
“देश में होने वाले हर विनिवेश पर पार्टी का नज़रिया हमेशा नकारात्मक रहा. क्या हमारे देश में बिज़नेस करके पैसा कमाना गलत है?”