Delhi Chalo March: सोनम वांगचुक ने शुरू की लद्दाख से ‘दिल्ली चलो’ पदयात्रा
सोनम वांगचुक के नेतृत्व में 100 से अधिक स्वयंसेवकों ने ‘दिल्ली चलो पदयात्रा’ की शुरुआत की है। 2 अक्टूबर, गांधी जयंती के दिन दिल्ली पहुंचने का लक्ष्य है।
Delhi Chalo Padyatra March Led By Sonam Wangchuk From Ladakh | लद्दाख के लोकप्रिय नवप्रवर्तक और पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के नेतृत्व में 100 से अधिक स्वयंसेवकों ने ‘दिल्ली चलो पदयात्रा’ की शुरुआत की है। यह यात्रा लद्दाख की चार प्रमुख मांगों को लेकर की जा रही है, जो पिछले चार सालों से जारी आंदोलन का हिस्सा है। यात्रा का आयोजन लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के संयुक्त तत्वावधान में हो रहा है। इन दोनों संगठनों ने राज्य की जनता के अधिकारों और भविष्य को लेकर लंबे समय से आंदोलन चलाया है।
Delhi Chalo Padyatra Led By Sonam Wangchuk From Ladakh
लद्दाख से दिल्ली तक यात्रा का उद्देश्य
‘दिल्ली चलो पदयात्रा’ का मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार को इस बात का अहसास कराना है कि लद्दाख के लोग अपनी मांगे पूरी करवाने के लिए गंभीर हैं। यह यात्रा लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के नेतृत्व में एक जनांदोलन का हिस्सा है, जो लद्दाख के लोगों के लिए सामाजिक और आर्थिक अधिकारों की मांग कर रही है।
सोनम वांगचुक ने यात्रा शुरू करते समय कहा कि, “यह एक जन आंदोलन है, और सरकार को लद्दाख के लोगों की मांगे बिना किसी संकोच के पूरी करनी चाहिए। लद्दाख सीमावर्ती क्षेत्र है, जो पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के साथ सटी हुई है, लेकिन यहां के लोग देश के लिए बलिदान देने को सदैव तत्पर हैं।”
MONTH-LONG LEH-DELHI PADYATRA MARCH BEGINS
Hello Delhi, see you at Rajghat on Gandhi Jayanti, 2nd October…
We are coming to encash a cheque….#DelhiChalo #SaveLadakh #SaveHimalayas pic.twitter.com/u8Q2BHAN7v— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) September 1, 2024
Delhi Chalo पदयात्रा की मुख्य मांगे
- लद्दाख के लिए पूर्ण-राज्य का दर्जा
- संविधान की छठी अनुसूची का विस्तार
- नियुक्ति प्रक्रिया की शुरुआत और लद्दाख के लिए लोक सेवा आयोग
- लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटें
संविधान की छठी अनुसूची की मांग
लद्दाख की सबसे प्रमुख मांगों में से एक है संविधान की छठी अनुसूची का विस्तार। यह अनुसूची आदिवासी क्षेत्रों को विशेष अधिकार और सुरक्षा प्रदान करती है। लद्दाख एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है, इसलिए यहां के लोग अपने अधिकारों और संसाधनों की सुरक्षा के लिए इस अनुसूची की मांग कर रहे हैं। इससे यहां के लोगों को भूमि और संसाधनों पर विशेष अधिकार मिलेंगे, और क्षेत्र का विकास उनकी इच्छाओं और आवश्यकताओं के अनुसार होगा।
राज्य का दर्जा और लोकसभा सीटों की मांग
लद्दाख के लोग संघ राज्य क्षेत्र (UT) में विधानसभा के साथ राज्य का दर्जा चाहते हैं, जिससे वे अपनी सरकार बना सकें और अपने भविष्य का फैसला स्वयं कर सकें। इसके अलावा, लेह और कारगिल दोनों जिलों के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटों की भी मांग है। वर्तमान में लद्दाख के लिए एक ही लोकसभा सीट है, जो पूरे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती है, लेकिन यहां के लोग दोनों जिलों के लिए अलग-अलग प्रतिनिधित्व की मांग कर रहे हैं ताकि उनकी आवाज़ संसद में बेहतर ढंग से उठ सके।
पहले भी हो चुके हैं आंदोलन
सोनम वांगचुक पहले भी लद्दाख की मांगों को लेकर सक्रिय रहे हैं। मार्च 2023 में, उन्होंने 21 दिन की भूख हड़ताल की थी, जिसमें उन्होंने लद्दाख की चार प्रमुख मांगों को उठाया था। हालांकि सरकार के साथ कुछ बातचीत हुई थी, लेकिन उसका कोई ठोस परिणाम नहीं निकला था। इस बार पदयात्रा के माध्यम से लद्दाख के लोग केंद्र सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं कि वे इन मांगों पर गंभीरता से विचार करें।
हिमाचल प्रदेश के रास्ते Delhi Chalo मार्च
यात्रा लेह से शुरू होकर हिमाचल प्रदेश के रास्ते दिल्ली तक पहुंचेगी। यात्रा के दौरान अन्य स्थानों से भी लोग जुड़ेंगे। जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ेगी, उम्मीद है कि और भी लोग इसमें शामिल होंगे और इसे समर्थन देंगे।
Delhi Chalo Padyatra March Led By Sonam Wangchuk From Ladakh – WATCH Video
WEATHER CHANGES EVERY HOUR
at high passes…
But not our determination.#SaveLadakh ##SaveHimalayas pic.twitter.com/g5gupxGHDt— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) September 4, 2024
गांधी जयंती पर दिल्ली पहुंचने का लक्ष्य
इस यात्रा के तहत 2 अक्टूबर, गांधी जयंती के दिन दिल्ली पहुंचने का लक्ष्य है, जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती है। सोनम वांगचुक ने उम्मीद जताई है कि जब वे गांधी जयंती के दिन दिल्ली पहुंचेंगे, तो सरकार उनकी मांगों को लेकर सकारात्मक संदेश देगी।
यात्रा में शामिल लोगों का उत्साह
यात्रा की शुरुआत के समय LAB के अध्यक्ष थुपस्तान छेवांग ने इस यात्रा को हरी झंडी दिखाई और कहा कि यह आंदोलन लद्दाख के सभी वर्गों का समर्थन प्राप्त कर रहा है। इसमें बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक सभी शामिल हैं। एक 90 वर्षीय व्यक्ति जो स्विट्जरलैंड में रहता है, उसने भी इस यात्रा में भाग लेने की इच्छा जताई है, जो यह दर्शाता है कि लद्दाख के लोग अपने अधिकारों को लेकर कितने गंभीर हैं।
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इस बीच रिपोर्ट्स के अनुसार एक बुजुर्ग प्रतिभागी त्सेरिंग दोरजे ने कहा, “हालांकि मेरी सेहत मुझे पूरे 1,000 किमी की यात्रा करने की अनुमति नहीं देती, लेकिन मैं यात्रा में जितना संभव हो उतना शामिल होने की कोशिश करूंगा। इस यात्रा के माध्यम से हम सरकार को संदेश देना चाहते हैं कि हम अपनी चार प्रमुख मांगों को लेकर बहुत गंभीर हैं।”
लद्दाख के लोगों के अधिकारों की यह लड़ाई न केवल क्षेत्र के विकास और सुरक्षा से जुड़ी है, बल्कि यह वहां के लोगों की इच्छाओं और आकांक्षाओं की भी प्रतीक है। यह पदयात्रा लद्दाख के लोगों के लिए एक निर्णायक मोड़ हो सकती है, और सरकार के साथ उनकी मांगों पर फिर से चर्चा शुरू हो सकती है। सोनम वांगचुक के नेतृत्व में यह जन आंदोलन एक मजबूत संदेश देता है कि लद्दाख के लोग अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण और संगठित ढंग से संघर्ष जारी रखेंगे।