‘बॉम्बे शेविंग कंपनी’ के संस्थापक शांतनु देशपांडे के बताया कि ‘क्यों घर खरीदने के बजाए, उन्हें ₹1.5 लाख किराया देना सही लगा’
Bombay Shaving Company के संस्थापक शांतनु देशपांडे को घर खरीदने के बजाए ₹1.5 लाख प्रति माह किराया देना ज्यादा ठीक क्यों लगता है, उन्होंने अपने लेटेस्ट पॉडकास्ट शो में इसका कारण बताया है।
इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों ने बॉम्बे शेविंग कंपनी (Bombay Shaving Company) के बारे में कभी का कभी तो सुना ही होगा। इस स्टार्टअप के संस्थापक शांतनु देशपांडे ने हाल में खुलासा किया कि गुरुग्राम में रहने के दौरान उन्होंने अपना घर नहीं खरीदा, बल्कि इसके बजाए उन्हें ₹1.5 लाख प्रति माह से अधिक किराया देना ज्यादा ठीक लगा। उन्होंने लेटेस्ट पॉडकास्ट शो में इसका कारण (Shantanu Deshpande On Why He Doesn’t Own A House) भी बताया।
शांतनु देशपांडे सोशल मीडिया पर ‘The BarberShop with Shantanu’ नाम से एक पॉडकास्ट शो भी होस्ट करते हैं। इसी दौरान हैदराबाद स्थित रियल एस्टेट उद्यमी अजितेश कोरुपुलु के साथ की गई बातचीत में शांतनु ने कहा कि वह गुरुग्राम में रहते थे जहां उन्हें ₹1.5 लाख से अधिक का मासिक किराया देना, घर खरीदने से अधिक उचित लगा।
पॉडकास्ट के दौरान ‘RENTING v/s BUYING : Which is better?‘ सेगमेंट के तहत रियल एस्टेट जगत से जुड़े अजितेश कोरुपुलु ने कहा कि एक उद्यमी के रूप में क्या हो रहा है कि आपकी संपत्ति एक कंपनी द्वारा बनाई जा रही है। कामकाजी पेशेवरों के लिए रियल एस्टेट संपत्ति बन जाती है। उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि:
“मान लीजिए कि आप शायद हर महीनें ₹1 लाख तक का किराया दे रहे हैं। लेकिन अगर आप ₹50,000-₹60,000 का अतिरिक्त भुगतान करते हैं तो शायद आप वह घर ही खरीद सकें। क्योंकि भले ही आप 10 साल तक यह किराया चुकाएं, लेकिन आप अपनी कोई संपत्ति नहीं बना रहे हैं। जबकि आप इसके एवज में EMI का भुगतान करके अपनी खुद की एक संपत्ति बना सकते हैं।”
Shantanu Deshpande On Why He Doesn’t Own A House
अजितेश की इस बात का जवाब देते हुए शांतनु देशपांडे ने कहा, ‘[यह] गणित मेरे लिए उस तरह से काम नहीं करता है।’ उन्होंने आगे कहा;
‘उदाहरण के लिए, मैं गुड़गांव (गुरुग्राम) में गोल्फ कोर्स जैसी प्रीमियम लोकेशन पर ₹1.5 लाख मासिक किराए व मेंटेनेंस आदि के साथ 1.6 – 1.65 लाख रुपए का भुगतान कर रहा हूं। मैं जिस अपार्टमेंट में रहता हूं उसकी कीमत लगभग ₹7.5-8 करोड़ है। ऐसे में अगर मुझे वह अपार्टमेंट खरीदना है, और इसके लिए लगभग ₹6 करोड़ का लोन होता है, तो EMI लगभग ₹6-7 लाख प्रति माह का बनता है। ये मौजूदा किराए से लगभग चार गुना है। इसलिए, मैं एक ऐसे घर में रह रहा हूं जो EMI लागत का एक-चौथाई हिस्सा है। इसलिए इसे खरीदने का कोई मतलब नहीं है।’
उनका यह तर्क रहा कि ‘अगर मेरे पास वो ₹6 लाख है, और अगर मैं इतना कमा रहा हूं, तो मैं इसे पब्लिक मार्केट में डाल सकता हूं, जहां वो एक फिक्स्ड एसेट नहीं बनेगा, जिसमें लिक्विडिटी बहुत मुश्किल है। मैं इसके बारे में इसी तरह सोचता हूं जब तक कि मैं अपने बच्चों और पैरेंट्स के साथ वहां नहीं रहना चाहता….क्योंकि फिर ठीक है, फिर वो एसेट बिल्डिंग नहीं बल्कि एक कॉस्ट है।’