कोलकाता एयरपोर्ट पर व्हीलचेयर पर बैठी दिव्यांग युवती से ‘3 बार खड़े होने’ को कहा
कोलकाता एयरपोर्ट पर व्हीलचेयर में बैठी एक दिव्यांग युवती आरुषि सिंह को कर्मचारी ने एक नहीं तीन बार खड़े होने के लिए कहा। आरुषि ने सोशल मीडिया पर पूरी आपबीती बताई है।
कोलकाता एयरपोर्ट से जुड़ा एक असंवेदनशीलता का मामला सामने आया है। व्हीलचेयर पर बैठी एक दिव्यांग महिला को कोलकाता एयरपोर्ट में सुरक्षा जाँच के दौरान स्टाफ ने खड़े होने के लिए कहा, वो भी एक बार नहीं बल्कि तीन बार। ये आरोप गुरुग्राम की आरुषि सिंह ने लगाए हैं। उन्होंने अपनी आपबीती सोशल मीडिया पर साझा की। एयरपोर्ट पर सुरक्षाकर्मियों द्वारा दिव्यांग महिला का ऐसा कथित अपमान (Woman On Wheelchair Asked To Stand Up By Kolkata Airport Staff) देश भर में चर्चा का विषय बन गया है।
नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर से लॉ ग्रैजुएट, आरुषि सिंह ने एक्स/ट्विटर पर पोस्ट शेयर कर इस घटना के बारे में बताया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, व्हीलचेयर पर बैठी आरुषि सिंह को बुधवार शाम को नेताजी सुभाष चंद्र बोस अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सुरक्षा जाँच के दौरान तीन बार खड़े होने के लिए कहा गया।
Woman On Wheelchair Asked To Stand Up At Kolkata Airport
आरुषि के अनुसार, कियोस्क पर सुरक्षा व्यवस्था में तैनात महिला ने उनसे कहा कि ‘खड़े होकर दो कदम चलकर आ जाओ।’ इस पर आरुषि ने जवाब दिया कि ‘वह ऐसा नहीं कर सकती क्योंकि वह ऐसा कर पानें में सक्षम नहीं हैं।’
एयरपोर्ट की कर्मचारी ने एक बार फिर उनसे कहा ‘सिर्फ 2 मिनट खड़े हो जाओ।’ इस पर आरुषि ने उत्तर दिया कि वह जन्म से विकलांग हैं, यह संभव नहीं है।
ये सब लगभग 1 से 2 मिनट तक चला। इस दौरान आरुषि परेशान होकर चिल्लाती रहीं। लेकिन उनकी मदद करने भी कोई स्टाफ नहीं आया। उन्हें कियॉस्क से बाहर निकलने के लिए व्हीलचेयर को दीवारों का सहारा लेकर खुद ही धकेलना पड़ा। इसके बावजूद सुरक्षाकर्मियों ने अपने व्यवहार के लिए खेद तक व्यक्त नहीं किया।
टर्मिनल भवन में प्रवेश करने से पहले भी उन्हें लगभग 20 मिनट तक अपनी व्हीलचेयर में इंतजार करना पड़ा। आरुषि को अक्सर काम के चलते दिल्ली से कोलकाता के बीच यात्रा करनी पड़ती है। आरुषि की आपबीती उनके पोस्ट में नीचे आप खुद भी पढ़ सकते हैं;
Given that most wheelchair assistants were helping passengers, the officer in question did not feel the need to help me out of the kiosk when the security clearance was completed. Moreover, there was 20 minute delay before wheelchair assistance was provided. https://t.co/N419COLiK4
— Arushi Singh (@singhharushi) February 1, 2024
जाहिर है ऐसी घटनाएँ संबंधित संस्थान और उनके कर्मचारियों की संवेदनशीलता पर सवाल खड़ा करती हैं और एक ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता को दर्शाती हैं, ताकि पुनः किसी अन्य के साथ ऐसा व्यवहार ना हो।