व्हाट्सएप इंटरऑपरेबिलिटी चैट फीचर क्या है? समझिए काम करने का तरीका
WhatsApp के Chat Interoperability फीचर की चर्चा तो चारों ओर है, लेकिन क्या आप इसका मतलब समझते हैं. इससे चैट करने का तरीका हमेशा-हमेशा के लिए बदलने वाला है.
आज एक समय व्हाट्सएप के नए फीचर ‘चैट इंटरऑपरेबिलिटी‘ का शोर चारों ओर है. और व्हाट्सएप एक ऐसी चीज है, जिसको आजकल सभी स्मार्टफोन यूजर्स इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में टेक जगत से बहुत अधिक वास्ता ना रखने वाले लोग भी ये जानना चाहते हैं कि व्हाट्सएप चैट इंटरऑपरेबिलिटी (WhatsApp interoperability kya hai) क्या है? ये व्हाट्सएप का इंटरऑपरेबिलिटी एक क्रॉस-प्लेटफॉर्म मैसेजिंग फीचर है, जिसकी मदद से यूजर Messenger, iMessage, Signal जैसे तमाम अन्य मैसेजिंग ऐप वाले उपयोगकर्ताओं से भी बातचीत कर सकते हैं, वो भी इन ऐप्स को डाउनलोड या इंस्टॉल किए बगैर!
व्हाट्सएप चैट इंटरऑपरेबिलिटी फीचर के बाद अब आपको अलग-अलग मैसेजिंग ऐप का इस्तेमाल करने वाले दोस्तों से चैट्स के लिए उन सभी ऐप्स को डाउनलोड नहीं करना पड़ेगा. सिर्फ एक ऐप ही काफी है. सरल शब्दों में ये क्रॉस-प्लेटफॉर्म मैसेजिंग का ही एक स्वरूप है. आपके दोस्त Telegram या किसी अन्य ऐप से भी आपको WhatsApp पर मैसेज कर पाएँगे.
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WhatsApp Interoperability Kya Hai
खबरों में यह अटकलें हैं कि शुरुआत व्हाट्सएप और मैसेंजर के बीच इंटरऑपरेबिलिटी से हो सकती है. इसके चलते इन दोनों ऐप्स के बीच आसानी से टेक्स्ट मैसेज, फोटो शेयरिंग, वॉयस मैसेज, वीडियो फाइल और डॉक्यूमेंट ट्रांसफर किया जा सकेंगे.
WhatsApp Chat Interoperability: Working Method
शुरुआती अकटलें और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार व्हाट्सएप चैट इंटरऑपरेबिलिटी फीचर का तरीका कुछ ऐसा होगा,
- व्हाट्सएप इसे एक ‘ऑप्ट-इन फीचर’ की तरह पेश करेगा.
- यूजर्स ये चुन सकेंगे कि उन्हें ‘चैट इंटरऑपरेबिलिटी’ फीचर चाहिए या नहीं.
- कई ऐप्स के साथ क्रॉस-प्लेटफॉर्म मैसेजिंग से संभावित खतरे भी हैं.
- विशेषज्ञ स्पैम जैसी चीजों के बढ़ने की संभावना भी व्यक्त करते हैं.
- इसलिए यूजर्स को जोखिमों को ध्यान में रखते हुए, क्रॉस-प्लेटफॉर्म मैसेजिंग विकल्प चुनने या ना चुनने की आजादी होगी.
- हालाँकि व्हाट्सएप ‘एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन’ को बनाए रखने की बात करता है.
- कॉल और ग्रुप को लेकर इंटरऑपरेबिलिटी का क्या रोल होगा, इसका खुलासा समय के साथ होगा.
WhatsApp will introduce Interoperability, But Why?
आपको लग रहा होगा भला व्हाट्सएप को इसकी क्या जरूरत पड़ गई, और भी मैसेजिंग कंपनियां ऐसा क्यों नहीं कर रही हैं? जवाब है यूरोपीयन यूनियन (EU) के नियमों की वजह से.
यूरोपीयन यूनियन या EU ने व्हाट्सएप की मूल कंपनी Meta को ‘डिजिटल मार्केट एक्ट (DMA)‘ के दायरे में रखते हुए, दुनिया की 6 प्रभावशाली गेटकीपर कंपनियों में से एक माना है. यूरोपीय संघ के इस नियम का उद्देश्य डिजिटल बाजार में निष्पक्षता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने का है.
इसका मतलब ये हुआ कि इस कंपनी को अपने साथ साथ प्रतिद्वंदियों का भी थोड़ा ध्यान रखना होगा. उनके लिए कुछ हद तक अपनी तकनीकी क्षमताओं के दरवाजों को खोलना होगा. इसके लिए EU ने Meta को 6 महीनें का समय दिया था. और जानते हैं क्या, कुछ ही हफ्ते में ये समय सीमा पूरी होने जा रही है.
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देखा जाए तो अपने प्लेटफ़ॉर्म को थर्ड पार्टी ऐप्स के लिए खोलकर, व्हाट्सएप मैसेजिंग सेक्टर में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा ही देगा. ऐसा इसलिए क्योंकि इसके चलते छोटे मैसेजिंग प्लेटफार्मों के पास भी पहचान बनाने का मौका होगा.