वीडियो और मोबाइल गेम छीन सकते हैं बच्चों के सुनने की क्षमता: स्टडी
वीडियो या मोबाइल गेम्स खेलनें से बच्चों की सुनने की क्षमता जाने का खतरा होता है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित WHO व अन्य वैज्ञानिकों के एक शोध में इसका खुलासा हुआ है।
Video Games May Cause Hearing Loss | वैसे तो अधिकतर लोगों को वीडियो गेम्स खेलनें में बहुत मज़ा आता है। लेकिन क्या आप जानते हैं ये वीडियो गेम्स या फिर मोबाइल फोन व कंप्यूटर गेम्स से आपके कानों की सुनने की क्षमता भी जा सकती है? यह कोई कल्पना नहीं है, बल्कि इसका खुलासा वैज्ञानिकों के द्वारा की गई एक रिसर्च में हुआ है।
हम बात कर रहे हैं, ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (BMJ) में प्रकाशित की गई एक नई रिसर्च के बारे में, जिसमें यह कहा गया है कि वीडियो गेम खेलने वाले गेमर्स की सुनने की क्षमता हमेशा के लिए समाप्त हो सकती है। आसान शब्दों में यह बताया गया है कि वीडियो गेमर्स के कानों की सुनने की क्षमता जाने का खतरा होता है।
रिसर्च बताती है कि नियमित रूप से वीडियो गेम खेलने वाले बच्चों में सुनने की क्षमता कम होने का खतरा तुलनात्मक रूप से अधिक होता है। इतना ही नहीं बल्कि यह लोग अगर गेमिंग के दौरान हेडफोन या ईयरफोन आदि का इस्तेमाल करते हैं तो इसकी और संभावना बढ़ जाती है।
Video Games से हो सकता है Hearing Loss
इस हालिया रिसर्च के मुताबिक, कई ऐसे पॉपुलर वीडियो गेम्स हैं जिनकी तेज आवाज (साउंड) को लगातार हेडफोन या ईयरफोन के सहारे सुनने से कानों की सुनने की शक्ति हमेशा के लिए जाने जैसा खतरा तक पैदा हो सकता है। यह टिनिटस (Tinnitus) जैसी कानों से संबंधी समस्या की वजह भी बन सकती है।
गौरतलब है कि टिनिटस वह समस्या है जिसके चलते कई बार कानों में थोड़े-थोड़े समय में घंटी, सीटी और सनसनाहट जैसी आवाजे सुनाई देने लगती हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति को रात्रि में सोने से लेकर दिन भर की दिनचर्या के दौरान असहज महसूस होता है।
क्या कहते हैं आँकड़े?
यह अध्ययन इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि एक अनुमान के अनुसार, साल 2022 तक ही दुनिया भर में लगभग 3 बिलियन (या 300 करोड़) से अधिक गेमर्स दर्ज किए गए थे। ऐसे में जाहिर है एक बड़ी आबादी के ऊपर यह स्वास्थ्य संबंधी खतरा मंडरा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस रिसर्च में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वैज्ञानिक भी शामिल रहे। इस दौरान शोधकर्ताओं ने उत्तरी अमेरिका, यूरोप, दक्षिण पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया में स्थित 9 देशों में प्रकाशित 14 अध्ययनों की समीक्षा भी की। गौर करने वाली बात है कि इन अध्ययनों में करीब 50,000 से अधिक प्रतिभागियों को शामिल किया गया था।
रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया कि मोबाइल डिवाइसों में ध्वनि का औसत स्तर 43.2 dB (डेसिबल) होता है, जबकि गेमिंग सेंटर्स में यही आँकड़ा 80-89 dB तक चला जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मानें तो एक वयस्क व्यक्ति के लिए भी हफ्ते में 40 घंटे तक 80 dB (डेसिबल) से अधिक का शोर सुनना हानिकारक हो सकता है। आपके अंदाजे के लिए बता दें कि यह लगभग उतना ही शोर है, जितना दरवाजों की सामान्य घंटियाँ पैदा करती हैं।
रहें सुरक्षित!
ऐसे में हेडफोन और ईयरबड आदि का इस्तेमाल करते हुए बच्चे एक सप्ताह में ही लगभग छह से साढ़े छह घंटे तक 83 dB (डेसिबल), साढ़े तीन घंटे तक 86 dB और 12 मिनट के लिए 90 dB तक की आवाज सुन सकते हैं।
ऐसे में अगर वह इन सीमाओं से अधिक ध्वनि सुनते हैं, तो उनके कानों की सुनने की क्षमता को क्षति पहुँच सकती है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि जितना अधिक से अधिक समय तक यह गेमर्स इस इन शोर या ध्वनियों के संपर्क में रहते हैं, कानों के स्वास्थ्य पर उतना ही विपरीत असर पड़ सकता है।
बचाव के तरीके
- गेम खेलते वक्त हेडफोन, ईयरबड आदि का कम से कम उपयोग
- साउंड के स्तर को हमेशा कम रखनें की कोशिश करें
- लगातार लमबें समय तक गेमिंग से बचें
- बीच-बीच में ब्रेक लेकर बॉडी को रिलैक्स करनें की कोशिश करें