यूपी में पेपर लीक के लिए नई नीति घोषित, भर्ती परीक्षाओं के लिए ये हैं नए नियम
NEET, UGC NET, RO ARO और पुलिस भर्ती परीक्षा पेपर लीक के बाद अब यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भर्ती परीक्षाओं के लिए नई नीति पेश की है। आप भी नए नियम जान लीजिए।
लगातार प्रतियोगी परीक्षाओं में हो रही ‘पेपर लीक’ और ‘धांधली’ जैसी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी नई पॉलिसी पेश कर दी है। यूपी में पुलिस भर्ती से लेकर आरओ एआरओ (RO ARO) परीक्षा में हुए पेपर लीक और हाल में NEET और UGC NET पेपर लीक के बीच यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नई नीति, कानून व नियमों (UP New Policy To Prevent Paper Leak) को लागू कर दिया है।
नई पॉलिसी के तहत लागू किए जा रहे कानून में ‘पेपर लीक’ से लेकर ‘साल्वर गैंग’ जैसी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के प्रावधान किए गए हैं। अब परीक्षाओं में धांधली करने वालों के खिलाफ यूपी में ‘भारी जुर्माने’ से लेकर ‘बुलडोजर एक्शन’ और ‘जेल की सजा’ भी देखनें को मिलेगी।
Overview (Table of Contents)
Paper Leak रोकने के लिए यूपी की New Policy
उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव कार्मिक डा. देवेश चतुर्वेदी ने गुरुवार की रात को ही भर्ती परीक्षाओं के संबंध में नए शासनादेश जारी किए। साथ ही यह नए आदेश सभी आयोगों व बोर्डों को भी भेज दिए गए हैं।
भर्ती परीक्षा में पेपर लीक आदि रोकने के लिए यूपी सरकार के नए नियमों से जुड़े कुछ खास प्रावधान इस प्रकार हैं:
- एक भर्ती परीक्षा कराने के लिए 4 एजेंसियां होंगी, जिन्हें अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
- छात्रों का परीक्षा केंद्र (एग्जाम सेंटर) उनके गृह मंडल से बाहर होगा।
- परीक्षा केंद्र बाहर होने वाले नियम से नि:शक्तों और महिलाओं को छूट मिल सकती है।
- 5 लाख से अधिक परीक्षार्थी होने पर दो चरणों में परीक्षा होगी।
- यूपी पीसीएस (UP PCS) परीक्षा को एक ही पाली में कराने की छूट होगी।
- परीक्षा आयोग और बोर्ड में ही ओएमआर शीट की स्कैनिंग होगी, जिससे रिजल्ट में धांधली रोकी जा सके।
- परीक्षा केंद्र बनाने के लिए दो श्रेणियां होंगी।
- पहली श्रेणी में राजकीय इंटर कॉलेज, मेडिकल व इंजीनयिरंग कॉलेजों को रखा गया है।
- दूसरी श्रेणी में एडेड स्कूलों होंगे।
- वित्त-विहीन स्कूलों व कॉलेजों में परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जाएगा।
एक परीक्षा के लिए होंगी 4 एजेंसियां
एक परीक्षा कराने के लिए 4 अलग-अलग एजेंसियों का इस्तेमाल करना होगा, जिनकी जिम्मेदारियां भी भिन्न होंगी, जैसे:
▶︎ एजेंसी A प्रश्नपत्र तैयार करने, छपवाने और सभी जिलों के कोषागार में पहुंचाने का काम करेगी।
▶︎ एजेंसी B परीक्षा कराने, प्रश्नपत्रों को कोषागार से परीक्षा केंद्र तक पहुंचाने, परीक्षा केंद्र की सभी व्यवस्था व परीक्षा के बाद OMR शीट को आयोग व बोर्ड तक पहुंचाने का कार्य करेगी।
▶︎ एजेंसी C को परीक्षा केंद्र पर सुरक्षा व्यवस्था, फ्रिस्किंग, बायोमैट्रिक कैप्चर, सीसीटीवी, कंट्रोल रूम आदि की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
▶︎ एजेंसी D को आयोग व बोर्ड परिसर में ही OMR शीट की स्कैनिंग कराने और परीक्षा का स्कोर चयन संस्था को उपलब्ध कराने का दायित्व दिया जाएगा।
पेपर पर होंगे प्राइवेसी कोड
नए नियमों के तहत परीक्षा में प्रत्येक पाली में 2 या अधिक पेपर सेट अनिवार्य होंगे। हर सेट के प्रश्नपत्र की छपाई अलग-अलग एजेंसी करेंगी। प्रश्नपत्र (एग्जाम पेपर) के हर एक पन्ने पर प्राइवेसी कोड जैसे यूनीक बार कोड, क्यूआर कोड, यूनीक सीरियल नंबर होंगे। इससे जरूरत पड़ने पर प्रश्न पत्र की सीरीज के बारे में पता करना आसान होगा। साथ ही प्रश्नपत्र के यूनिक सीरीज की जानकारी न हो सके, इसलिए अब पेपर में A, B, C, D नहीं लिखा होगा। परीक्षा से लगभग 5 घंटे पहले यह तय किया जाएगा कि किस प्रश्नपत्र को परीक्षा में इस्तेमाल करना है।
इतना ही नहीं भी प्रश्न पत्र लाने-ले जाने के लिए इस्तेमाल होने वाले बक्से की टेंपर प्रूफ मल्टीलेयर पैकेजिंग करवाई जाएगी। परीक्षा नियंत्रक को निरंतर प्रश्नपत्र छापने वाली एजेंसी का सख्ती से निरीक्षण करते रहना होगा। साथ ही प्रिंटिंग प्रेस की गोपनीयता बनाए रखनी पड़ेगी। प्रिंटिंग प्रेस में मोबाइल व कैमरे आदि को ले जाने पर प्रतिबंध होगा। प्रेस की निगरानी के लिए पर्याप्त सीसीटीवी कैमरे होंगे, जिनकी रिकॉर्डिंग को कम से कम 1 साल तक सुरक्षित रखना होगा।
OMR की तीन कॉपी होंगी
पेपर लीक रोकथाम हेतु बनाई गई नई पॉलिसी (Paper Leak New Policy) के तहत ओएमआर के तीन सेट होंगे। मूल सेट व प्रति संबंधित आयोग या बोर्ड के पास होगी। दूसरी प्रति को सीलबंद कोषागार में रखा जाएगा, जबकि तीसरी अभ्यर्थियों को दी जाएगी।
स्टेशन से 10 किमी के भीतर होंगे एग्जाम सेंटर
उत्तर प्रदेश में आयोग या बोर्ड द्वारा आयोजित करवाई जाने वाली परीक्षाओं के परीक्षा केंद्र (एग्जाम सेंटर्स) बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन आदि से 10 किलोमीटर के भीतर देने होंगे। सेंटर के लिए राजकीय माध्यमिक, डिग्री कॉलेज, विश्वविद्यालय, पॉलिटेक्निक, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज अथवा साफ-सुथरे ट्रैक रिकॉर्ड वाले वित्त पोषित शैक्षिक संस्थानों का ही चयन करना होगा।
एग्जाम सेंटर का चयन डीएम की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा किया जाएगा। परीक्षा केंद्रों को परीक्षाएं करवाने का न्यूनतम तीन साल का अनुभव होना चाहिए। एग्जाम सेंटर शहर की आबादी के अंदर होंगे चाहिए। केंद्र में बिल्डिंग के चारों ओर पर्याप्त बाउंड्रीवाल, सीसीटीवी, पेयजल, शौचालय, बिजली व जनरेटर की व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी।
कक्ष निरीक्षकों की ड्यूटी में बदलाव
परीक्षा केंद्रो में अब कक्ष निरीक्षकों के 30 मिनट पहले रैंडम तरीके से परीक्षा कक्ष का आवंटन किया जाएगा। आवंटन के समय स्टैटिक मजिस्ट्रेट की उपस्थिति अनिवार्य होगी। परीक्षा केंद्र पर 50% कर्मचारी बाहर के होने चाहिए। परीक्षा केंद्रों में तैनात कर्मचारियों पर भी कोई भी इलेक्ट्रानिक डिवाइस रखने से प्रतिबंधित कर दिया गया है।