शिक्षक भर्ती: 69000 उम्मीदवारों की सूची नए सिरे से बनेगी, बीजेपी नेता ये बोले?
हाईकोर्ट ने 69 हजार शिक्षकों की भर्ती को लेकर आरक्षण नियमावली 1994 की धारा 3(6) और बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन करने का आदेश दिया है।
UP Teacher Recruitment Cancelled, Students, BJP Reacts | एक बड़े फैसले के तहत शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सहायक शिक्षक भर्ती-2019 में चयनित 69 हजार अभ्यर्थियों की सूची को रद्द करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने साफ किया कि लिस्ट नए सिरे ए बनाई जाए। सरकार व अन्य संबंधित विभागों को अदालत ने नई लिस्ट जारी करने के लिए 3 महीनें का समय दिया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट कोर्ट की लखनऊ बेंच ने आरक्षित वर्ग के 6800 अभ्यर्थियों की सूची खारिज करने को लेकर एकल पीठ द्वारा सुनाए फैसले को बरकरार रखा है। हाईकोर्ट ने 69 हजार शिक्षकों की भर्ती को लेकर आरक्षण नियमावली 1994 की धारा 3(6) और बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन करने का आदेश दिया है। टाइमलाइन पर गौर करें तो 69 हजार शिक्षक अभ्यर्थियों की चयन सूची (Selection List) 1 जून 2020 को जारी हुई थी। वहीं 6800 अभ्यर्थियों की सूची 5 जनवरी 2022 को रिलीज़ की गई थी।
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सिलेक्टेड टीचर्स पर होगा असर? (UP Teacher Recruitment)
कोर्ट के इस फैसले से 69000 शिक्षक भर्ती के तहत सिलेक्टेड व वर्तमान में कार्यरत कई सहायक शिक्षकों पर भी इसका विपरीत असर पड़ सकता है। इसको ध्यान में रखते हुए अदालत ने यह भी निर्देश दिए हैं कि शिक्षक भर्ती की नई चयन सूची (UP Teacher Recruitment List) बनाते वक्त अगर कोई ऐसे शिक्षक प्रभावित होते हैं तो उन्हें मौजूदा सत्र का लाभ देना होगा। यह निर्देश छात्रों की पढ़ाई में किसी प्रकार की बाधा न आए, इसलिए दिया गया है।
69000 शिक्षक भर्ती की टाइमलाइन (Timeline)
उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों के लिए 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती ‘आरक्षण विवाद’ के चलते काफी सुर्खियों में रही है। अब इस मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का निर्णय आ गया है। ऐसे में कई अभ्यर्थियों की उम्मीदें फिर से जगी हैं। लेकिन आइए समझते हैं कि आखिर 69,000 शिक्षक भर्ती की अब तक की पूरी टाइमलाइन क्या रही?
यूपी शिक्षक भर्ती परीक्षा: नई भर्ती को लेकर छात्रों ने शुरू किया अभियान
भर्ती विज्ञापन – UP Teacher Recruitment
विज्ञापन: यूपी सरकार ने 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए दिसंबर 2018 में विज्ञापन निकाला था। इस भर्ती में लगभग 4 लाख 10 हजार अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया।
शुरुआत: 6 जनवरी 2019 को 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा आयोजित की गई। इस लिखित परीक्षा में पूछे गए एक प्रश्न के चारों विकल्प गलत थे।
रिज़ल्ट: गलत प्रश्न के मसले के बीच 12 मई 2020 को परिणाम घोषित किए गए। लगभग 1 लाख 40 हजार अभ्यर्थी सफल घोषित हुए, और फिर मेरिट लिस्ट बनी। इस बीच दो तरह के मामले सामने आए। पहले गलत प्रश्न और दूसरा आरक्षण विवाद।
शिक्षक भर्ती विवाद का है?
विवाद 1: रिज़ल्ट बनाने से पहले विशेषज्ञों ने उन सभी गलत विकल्पों में से एक विकल्प को सही मान लिया था।
कोर्ट में मामला: जैसा स्वाभाविक था, कई अभ्यर्थियों ने इसके खिलाफ मई 2020 में हाईकोर्ट का रुख किया।
आदेश: इस मामले में हाईकोर्ट ने 25 अगस्त 2021 को उन अभ्यर्थियों, जिन्होंने संबंधित प्रश्न को हल करने की कोशिश की थी और एक अंक से सफल हो रहे थे, का रिज़ल्ट मान्य करते हुए नियुक्ति का आदेश दिया। वह उम्मीदवार जिन्होंने 25 अगस्त 2021 तक हाईकोर्ट में अपील की थीं कि वह एक नंबर से पास हो रहे थे, उनसे परीक्षा नियामक द्वारा 10-19 जनवरी 2023 तक ऑनलाइन प्रत्यावेदन मंगवाए गए। बताया जाता है कि लगभग 3192 आवेदन प्राप्त हुए।
विवाद 2: लिस्ट के चार महीने बाद लगभग कई छात्रों ने आरोप लगाया कि 19 हजार पदों को लेकर आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया। आरोप लगे कि ओबीसी वर्ग को 27% के बजाए महज 3.86% आरक्षण मिला। वहीं अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग को 21% नहीं बल्कि 16.2% आरक्षण दिए जाने की बात कही गई। वैसे सरकार ने आरक्षण में धांधली के इन आरोपों का खंडन किया।
सरकार vs अभ्यर्थी
सरकार का तर्क: यूपी सरकार के अनुसार, मेरिट लिस्ट में करीब 70% अभ्यर्थियों का चयन आरक्षण वर्ग के तहत ही हुआ है। संसदीय कार्य मंत्री की ओर से विधानसभा में जानकारी दी गई कि 69 हजार शिक्षक भर्ती में 31,228 ओबीसी वर्ग से ही चयनित हुए हैं। इनमें से 12,360 आरक्षित पदों और 18,598 मेरिट के आधार पर सेलेक्ट हुए हैं।
अभ्यर्थियों का मत: धांधली का आरोप लगाने वालों का कहना रहा था कि यदि यूपी सरकार अगर आरक्षण प्रावधानों के तहत भर्ती करती तो 48,000 से 50,000 चयनित उम्मीदवार आरक्षित वर्ग के होते।
मामल कोर्ट गया: मसला जब हाईकोर्ट पहुंच गया तो एकल पीठ ने भर्ती में आरक्षण घोटाले की बात स्वीकार की और कहा फिर से पूरी मेरिट जारी होनी चाहिए। इस बीच कुछ होता दिखा नहीं। पर सरकार ने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले माना कि 6800 पदों पर आरक्षण घोटाला हुआ है। ऐसे में इनकी मेरिट फिर से जारी करने की बात कही गई। पर छात्रों का कहना था कि इसका दायरा 19,000 पदों तक फैला है।
छात्र फिर हाईकोर्ट पहुंचे और इस बार हाईकोर्ट ने 6800 पदों की मेरिट लिस्ट पर रोक लगा दी। फिर अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट की डबल बेंच में याचिका दायर की। बता दें सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 19 मार्च 2024 को अपना फैसला रिजर्व रख लिया था, जो आदेश अब पारित किया गया है। आदेश में हाईकोर्ट ने स्वीकार किया कि लिस्ट में आरक्षण प्रावधानों का उचित अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया गया।
शिक्षक भर्ती पर BJP नेता क्या बोले?
इस बीच हाईकोर्ट का निर्णय आने के बाद शिक्षक भर्ती को लेकर उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि शिक्षकों की भर्ती में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फ़ैसला सामाजिक न्याय की दिशा में स्वागत योग्य कदम है। यह उन पिछड़ा व दलित वर्ग के पात्रों की जीत है, जिन्होंने अपने अधिकार के लिए लंबा संघर्ष किया।
वहीं अपना दल (एस) प्रमुख और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने एक पोस्ट कर इस फैसले का स्वागत किया और इसे वंचितो के प्रति न्याय करार दिया। उन्होंने कहा कि 69000 शिक्षक भर्ती मामले में माननीय इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत है।
खुद पिछड़ा वर्ग आयोग ने माना था कि इस भर्ती मामले में आरक्षण नियमों की अनदेखी हुई। अब जबकि हाई कोर्ट ने आरक्षण नियमों का पूर्ण पालन करते हुए नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया है, तब उम्मीद है कि वंचित वर्ग के प्रति न्याय होगा। उन्होंने कहा कि अपने फैसले में जो माननीय हाईकोर्ट ने कहा है, उन्होंने भी हमेशा यही बात दोहराई है। राहुल गांधी भी अपनी यात्रा के दौरान प्रयागराज आकर अभ्यर्थियों के प्रति अपना समर्थन जाहिर कर चुके हैं।