UGC De-Reservation Controversy: नए ड्राफ्ट में आरक्षण से जुड़ा विवाद?
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के नए ड्राफ्ट में गैर-आरक्षण / De-Reservation से जुड़े पहलू ने एक नई बहस छेड़ दी है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा उठाए गए हालिया कदम को लेकर एक नया विवाद पैदा हो गया है। खबरों के अनुसार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग – यूजीसी – की ओर से डेश के उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) उम्मीदवारों के लिए रिक्तियों को ‘गैर-आरक्षित’ (UGC De-Reservation Controversy) करने से जुड़ा ड्राफ्ट जारी किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इन दिशानिर्देशों में उच्च शिक्षा संस्थानों (HEIs) में पर्याप्त आरक्षित उम्मीदवार उपलब्ध नहीं होने पर उन सीटों को सामान्य वर्ग के लिए खोलने का भी प्रावधान शामिल है। और इस मामले के सामने आते ही एक नई बहस छिड़ गई है।
तारीख र नजर डालें तो बीतें 27 दिसंबर को जारी किए गए इस ड्राफ्ट में मुख्य रूप से दुर्लभ और असाधारण मामलों को छोड़कर अन्य सीधी भर्तियों में आरक्षण/रिजर्वेशन रद्द करने से जुड़े ‘सामान्य प्रतिबंध’ का खांका पेश किया गया है।
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UGC De-Reservation Controversy
उच्च शिक्षा संस्थानों में डी-आरक्षण का जिक्र करने वाले इस ड्राफ्ट में शामिल दिशानिर्देशों पर आम जनता भी अपनी राय साझा कर सकती है। राय भेज सकने की आखिरी तारीख 28 जनवरी, 2024 तय की गई है।
डी-रिजर्वेशन ड्राफ्ट में शामिल दिशानिर्देश के कुछ अहम बिंदु;
☛ ऐसे मामलों में जहां ग्रुप-ए का कोई पद सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए खाली नहीं छोड़ा जा सकता है, उसके लिए विश्वविद्यालय को डी-रिजर्वेशन की अनुमति होगी। इसके लिए एक प्रस्ताव पेश करना होगा, जिसमें नीचे दिए सभी विषय होने चाहिए;
- पदनाम
- वेतनमान
- सर्विस का नाम
- जिम्मेदारियां
- आवश्यक योग्यताएं
- पद भरने के लिए किए गए प्रयास
- इसे खाली न रहने देने के कारण
डी-रिजर्वेशन के प्रस्ताव को कौन देगा मंजूरी
किसी पद हेतु विश्वविद्यालय द्वारा पेश किए गए डी-रिजर्वेशन के प्रस्ताव को मंजूरी देने के दो पैमानें हैं;
- ग्रुप-सी और ग्रुप-डी पदों के लिए डी-रिजर्वेशन के प्रस्ताव को विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद मंजूरी दे सकती है।
- ग्रुप-ए और ग्रुप-बी पदों के लिए प्रस्ताव को मंजूरी के लिए शिक्षा मंत्रालय के सक्षम रखा जाएगा।
हालाँकि गौर करने वाली बात ये भी है कि ड्राफ्ट में आरक्षित रिक्त पदों में कमी और बैकलॉग जैसे मुद्दे का भी जिक्र है। इन मामलों में विश्वविद्यालयों से आवेदन हेतु दूसरी कॉल जारी करके भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने के प्रावधानों को जगह दी गई है।
☛ पदोन्नति में भी आरक्षण को रद्द करने की अनुमति देने का प्रावधान है बशर्ते जब आरक्षित रिक्तियों के खिलाफ पदोन्नति के लिए उपयुक्त एससी/एसटी उम्मीदवार पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हों। लेकिन इस चीज को मंजूरी देने का अधिकार यूजीसी या शिक्षा मंत्रालय तक ही सीमित रखा गया है।
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लेकिन यूजीसी के इस ड्राफ्ट को लेकर अब कई लोगों ने नाराजगी जतानी भी शुरू कर दी है। कुछ लोग सोशल मीडिया पर व्यापक तौर पर अपना असंतोष व्यक्त करते हुए #Casteist_UGC और #आरक्षण_विरोधी_UGC जैसे हैशटैग का इस्तेमाल करते भी दिखाई दिए।
ध्यान से देखिए। ये UGC का ड्राफ़्ट है, जिसके ज़रिए उच्च शिक्षा में आरक्षण को ख़त्म करने की कोशिश की जाएगी। #Castist_UGC#आरक्षण_विरोधी_UGC pic.twitter.com/xJ0MRDlma0
— Dr. Laxman Yadav (@DrLaxman_Yadav) January 28, 2024