स्पेशल मैरिज एक्ट क्या है, जिसके तहत हुई सोनाक्षी सिन्हा जहीर इकबाल की शादी?
9 अक्टूबर, 1954 को भारत की संसद से पारित हुआ विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act) क्या है? और सोनाक्षी सिन्हा, जहीर इकबाल की शादी के अलावा बॉलीवुड में इसके अन्य तमाम उदाहरण देखनें को मिलते हैं।
बॉलीवुड अभिनेत्री और दिग्गज स्टार शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी सोनाक्षी सिन्हा (Sonakshi Sinha) और उनके बॉयफ्रेंड व अभिनेता जहीर इकबाल (Zaheer Iqbal) शादी के बंधन में बंध गए हैं। यह शादी इसलिए भी इतनी चर्चा में थी क्योंकि सोनाक्षी और जहीर दोनों अलग-अलग धर्मों से आते हैं। ऐसे में बॉलीवुड के इस चर्चित जोड़े ने ‘स्पेशल मैरिज एक्ट 1954‘ (Special Marriage Act Explained) के तहत शादी पंजीकृत कराई है।
अलग-अलग धर्मों से ताल्लुक रखने के बाद भी दोनों में से किसी ने भी बिना अपना धर्म बदले परिवार और दोस्तों की मौजूदगी में शादी की है। ऐसी शादियां कानूनी रूप से ‘स्पेशल मैरिज एक्ट 1954’ के अंतर्गत ही रजिस्टर होती हैं।
दिलचस्प यह भी है कि यह पहली ऐसी बॉलीवुड जोड़ी नहीं है जिसमें उपरोक्त एक्ट/अधिनियम के तहत शादी रचाई है। लेकिन अन्य उदाहरणों पर गौर करने से पहले आइए पहले जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर ‘स्पेशल मैरिज एक्ट 1954’ क्या है और कैसे ये अन्य मौजूदा प्रक्रिया से भिन्न है?
स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 (Special Marriage Act) क्या है? Explained
परिचय:
विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act in Hindi) एक ऐसा कानून है जो भारतीय समाज में अंतरधार्मिक विवाह को कानूनी मान्यता प्रदान करता है। ‘स्पेशल मैरिज एक्ट 1954’ अलग-अलग धर्मों के लोगों को बिना अपना-अपना धर्म बदले शादी करने की अनुमति प्रदान करता है। 9 अक्टूबर, 1954 को पारित विशेष विवाह अधिनियम पारित किया गया था।
इस अधिनियम के तहत लोग धर्म के आधार पर भेदभाव के बिना विवाह कर सकते हैं, वो भी बिना अपना धर्म बदले। विशेष विवाह अधिनियम का उद्देश्य भारत में अंतरधार्मिक और अंतरजातीय विवाह को लेकर लोगों के व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करना है।
स्पेशल मैरिज एक्ट का दायरा किसी भी धर्म, जाति या समुदाय के लिए तय है। इसे अंतरधार्मिक शादियों के लिए एक गैर-धार्मिक विकल्प के तौर पर भी देखा जाता है, जो नागरिकों को कानूनी रूप से अपनी शादी का पंजीकरण करा सकने की सहूलियत देता है।
पात्रता एवं सहमति:
स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी के लिए भी पात्रता की कुछ अहम शर्तें तय की गई हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:
- महिला की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए।
- पुरुष की न्यूनतम आयु 21 वर्ष होनी चाहिए।
- शादी के लिए दोनों मानसिक और शारीरिक रूप से सक्षम हों।
- दोनों की सहमति अनिवार्य है।
- दोनों में से किसी का भी जीवित ‘जीवनसाथी’ नहीं होना चाहिए।
प्रक्रिया व सूचना विवाह की सूचना
विशेष विवाह अधिनियम में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इसके तहत की जा रही शादी से पहले जोड़े को कम से कम 30 दिन पहले संबंधित अधिकारी को लिखित रूप से सूचित करना होगा। दोनों पक्षों को जिले के विवाह अधिकारी को यह लिखित सूचना देनी होगी। इनमें से एक पक्ष को अधिसूचना की तारीख से कम से कम 30 दिन पहले से ही क्षेत्र में रहना चाहिए।
विवाह हेतु यह आवेदन स्पेशल मैरिज एक्ट की अनुसूची 2 में निर्दिष्ट प्रारूप के तहत प्रस्तुत किया जाना चाहिए। इस दौरान उन्हें शादी का उद्देश्य, आवश्यक दस्तावेज और फीस भी जमा करनी होगी।
इसके बाद अधिकारी की ओर से एक नोटिस प्रकाशित किया जाएगा। यह नोटिस संबंधित कार्यालय, आधिकारिक वेबसाइट आदि जगह प्रदर्शित किया जाता है। नोटिस का मकसद किसी भी प्रकार की वैध आपत्तियों को आमंत्रित करना होता है।जारी नोटिस जबरन या धोखाधड़ी से होने वाली शादियों को रोकने के लिए आपत्तियां उठाने की अनुमति देता है। कोई भी आपत्ति नोटिस प्रकाशित होने की तारीख से 30 दिनों के भीतर तक ही दर्ज करवाई जा सकती है।
यदि कोई आपत्ति मिलती है, तो अधिकारी जांच शुरू करके आपत्ति की वैधता पर फैसला करेगा। आपत्ति न मिलने पर विवाह संबंधित अधिकारी के ऑफिस या किसी विशिष्ट स्थान पर आयोजित किया जा सकता है। शादी कर रहे जोड़े को विवाह समारोह का स्थान चुनने की स्वतंत्रता होती है। वह मंदिर, मस्जिद, अदालत या अन्य विशिष्ट स्थानों पर शादी कर सकते हैं। उन्हें विवाह अधिकारी द्वारा आयोजित नागरिक विवाह समारोह का भी विकल्प प्रदान किया जाता है। भी विकल्प चुन सकते हैं।
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अधिनियम में आसान और गैर-धार्मिक विवाह समारोह का भी जिक्र है। लेकिन विवाह समारोह के दौरान संबंधित अधिकारी और गवाहों की उपस्थिति अनिवार्य है। इस दौरान अधिकारी विवाह प्रमाणपत्र पुस्तिका में विवरण दर्ज करेगा और जोड़े समेत तीन गवाहों को भी उसमें हस्ताक्षर करने होते हैं। प्रमाणपत्र विवाह के कानूनी प्रमाण के तौर पर काम करता है।
कानूनी अधिकार
यह अधिनियम विवाहित जोड़ों के कानूनी अधिकारों को भी मान्यता देता है, जिसमें विरासत, साझा संपत्ति और तलाक लेने का विकल्प आदि शामिल हैं।
तलाक का भी प्रावधान?
स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 में निष्पक्षता और उचित प्रक्रिया की गारंटी के साथ विवाह समाप्त करने के भी प्रावधान हैं। अगर दोनों में से कोई भी व्यक्ति किन्ही मतभेदों के चलते शादी तोड़ना चाहता है तो दोनों पक्ष कानून के अनुरूप तलाक ले सकते हैं। विशेष विवाह अधिनियम के तहत निम्नलिखित कारणों से तलाक की अनुमति होती है:
- क्रूरता
- व्यभिचार
- परित्याग
- दूसरे धर्म में परिवर्तन
- मानसिक विकार
- आपसी सहमति
एक्ट में बदलाव की मांग?
वैसे अक्टूबर, 1954 को संसद से पारित स्पेशल मैरिज एक्ट में कुछ सालों पहले बदलाव की भी माँग उठ चुकी है। असल में समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं की ओर से समलैंगिकों की शादी को कानूनी मान्यता देने के लिए 1954 के स्पेशल मैरिज एक्ट में संशोधन का अनुरोध किया गया था।
Special Marriage Act – उदाहरण
अगर ‘स्पेशल मैरिज एक्ट 1954’ के तहत बॉलीवुड में सोनाक्षी सिन्हा और जहीर इकबाल की जोड़ी के अलावा अन्य उदाहरणों की बात करें तो इसमें स्वरा भास्कर-फहाद अहमद, करीना कपूर-सैफ अली खान, सोहा अली खान-कुणाल खेमू, संजय दत्त-मान्यता दत्त से लेकर किशोर कुमार-मधुबाला जैसे चर्चित नाम भी शामिल हैं।