सीताराम येचुरी का राजनीतिक सफर, वामपंथी राजनीति के ‘चाणक्य’ रहे
भारतीय राजनीति के एक दिग्गज और मार्क्सवादी विचारधारा – CPI (M) – के मजबूत स्तंभ, सीताराम येचुरी, का 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनक राजनीतिक सफर और इतिहास बेहद काफी दिलचस्प रहा है। उनके पास दशकों की सक्रिय राजनीति का अनुभव था।
Sitaram Yechury Passes Away, Know All About His Political Career | भारतीय राजनीति के एक दिग्गज और मार्क्सवादी विचारधारा के मजबूत स्तंभ, सीताराम येचुरी, का 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे पिछले कुछ समय से बीमार थे और एम्स, दिल्ली में उनका इलाज चल रहा था। निमोनिया और सांस की नली में संक्रमण जैसी समस्याओं से जूझने के बाद, 19 अगस्त को उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था। लंबी बीमारी और जटिल स्वास्थ्य स्थिति के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
येचुरी का निधन न केवल उनकी पार्टी, बल्कि पूरे वामपंथी राजनीतिक धारा के लिए एक बड़ी क्षति है। इसके साथ ही भारत ने भी एक बड़े विद्वान राजनेता को खो दिया। आइए सीताराम येचुरी के पूरे राजनीतिक सफर पर एक नजर डालते हैं।
Sitaram Yechury Political Career
सीताराम येचुरी का जन्म 12 अगस्त 1952 को मद्रास (अब चेन्नई), तमिलनाडु में हुआ था। उनका परिवार तेलुगु ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखता था। उनके पिता सर्वेश्वर सोमयाजुला येचुरी आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में इंजीनियर थे, जबकि उनकी माँ कल्पकम येचुरी एक सरकारी अधिकारी थीं। सीताराम का अधिकांश बचपन हैदराबाद में बीता।
Sitaram Yechury Education: प्रारंभिक शिक्षा
उन्होंने हैदराबाद के ऑल सेंट्स हाई स्कूल से दसवीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद 1969 में तेलंगाना आंदोलन के समय वह दिल्ली आ गए, जहाँ उन्होंने प्रेसिडेंट एस्टेट स्कूल में दाखिला लिया। अपनी शैक्षणिक कुशलता के कारण, सीताराम येचुरी ने 1970 में सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज में दाखिला लिया, जहाँ से उन्होंने अर्थशास्त्र में बीए ऑनर्स की डिग्री हासिल की।
जेएनयू और छात्र राजनीति
दिल्ली विश्वविद्यालय के बाद येचुरी ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से अर्थशास्त्र में मास्टर की डिग्री प्राप्त की। जेएनयू में अध्ययन के दौरान, येचुरी सक्रिय रूप से छात्र राजनीति (Sitaram Yechury Political Career) में भाग लेने लगे। 1974 में वे स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) में शामिल हुए और 1975 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) में शामिल हो गए।
आपातकाल – Sitaram Yechury Political Career
1975 में, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया, तब येचुरी को कई अन्य वामपंथी नेताओं के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। आपातकाल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के कारण उन्हें जेल जाना पड़ा, और यहीं से उनका अकादमिक जीवन समाप्त हो गया, लेकिन उन्होंने पूरी तरह से राजनीति को अपना जीवन बना लिया।
तीन बार बने जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष
आपातकाल हटने के बाद, 1977 में येचुरी जेल से रिहा हुए। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक तीन बार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष का चुनाव जीता, जिससे वे छात्र राजनीति में एक प्रमुख चेहरा बन गए। इसके साथ ही, प्रकाश करात के साथ मिलकर, उन्होंने जेएनयू को वामपंथी राजनीति का गढ़ बना दिया।
Sitaram Yechury Political Career: राजनीतिक सफर
सीपीएम में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ
सीताराम येचुरी का सीपीएम में लंबा राजनीतिक सफर रहा है। 1984 में उन्हें सीपीएम की केंद्रीय समिति का सदस्य बनाया गया और 1992 में उन्हें पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य के रूप में चुना गया।
पहली बार राज्यसभा में पहुँचना
2005 में, येचुरी पहली बार पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के सदस्य के रूप में चुने गए। इसके बाद उन्होंने कई बार उच्च सदन में सरकारों के खिलाफ अपने तीखे और बेबाक विचार रखे। राज्यसभा के सदस्य रहते हुए, उन्होंने कई बार सत्ताधारी सरकारों को कठघरे में खड़ा किया। 2016 में, उन्हें राज्यसभा में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ सांसद के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
सीपीएम के महासचिव के रूप में कार्यकाल
19 अप्रैल 2015 को विशाखापत्तनम में आयोजित सीपीएम की 21वीं पार्टी कांग्रेस में, येचुरी को सर्वसम्मति से पार्टी का महासचिव चुना गया। उन्होंने प्रकाश करात का स्थान लिया। येचुरी के महासचिव बनने के बाद, उन्होंने पार्टी में कई सुधार लाए और वामपंथी विचारधारा को मजबूत किया।
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गठबंधन राजनीति के मुख्य स्तंभ
सीताराम येचुरी को गठबंधन की राजनीति के प्रमुख चेहरे के रूप में जाना जाता है। उन्होंने सीपीएम को अन्य वामपंथी और समान विचारधारा वाले दलों के साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1996 में संयुक्त मोर्चा सरकार के साझा न्यूनतम कार्यक्रम का मसौदा तैयार करने में उनका बड़ा योगदान रहा। इसके अलावा, 2004 में यूपीए सरकार के गठन के समय भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
Sitaram Yechury: व्यक्तिगत जीवन
सीताराम येचुरी के पारिवारिक जीवन की बात करें तो वे सीमा चिश्ती से विवाहित थे। उनके दो बच्चे थे – बेटी अखिला येचुरी और बेटा आशीष येचुरी। उनके बेटे आशीष का 2021 में कोरोना महामारी के दौरान निधन हो गया था, जो येचुरी के जीवन में एक बड़ी व्यक्तिगत क्षति थी।
येचुरी की विरासत
सीताराम येचुरी ने अपने राजनीतिक जीवन में वामपंथी विचारधारा को एक नई दिशा दी। वे केवल सीपीएम के नेता नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति में वामपंथ के प्रतीक बन गए थे। उन्होंने अपने विचारों और कार्यों से न केवल वामपंथी दलों को एकजुट किया, बल्कि भारतीय राजनीति में अपने मजबूत स्थान की स्थापना की।
Sitaram Yechury Political Career
उपलब्धि | वर्ष | विवरण |
---|---|---|
जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष | 1977 | तीन बार अध्यक्ष चुने गए |
राज्यसभा सदस्य | 2005 | पहली बार पश्चिम बंगाल से चुने गए |
सीपीएम महासचिव | 2015 | पार्टी का नेतृत्व संभाला |
सर्वश्रेष्ठ सांसद पुरस्कार | 2016 | राज्यसभा में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए सम्मानित |
Sitaram Yechury ji was a friend.
A protector of the Idea of India with a deep understanding of our country.
I will miss the long discussions we used to have. My sincere condolences to his family, friends, and followers in this hour of grief. pic.twitter.com/6GUuWdmHFj
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 12, 2024
सीताराम येचुरी का निधन भारतीय राजनीति और विशेष रूप से वामपंथी आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका है। वे अपनी राजनीतिक दृष्टि, विचारधारा, और गठबंधन निर्माण की क्षमता के लिए सदैव याद किए जाएंगे। उनके योगदान और संघर्ष ने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा दी, जो आने वाले समय में भी प्रेरणा का स्रोत बनेगी।