₹5 के एक सिक्के से बनते हैं ₹10 के ब्लेड, धातु की कीमत वास्तविक मूल्य से अधिक!

Rs 5 Coin, Worth More as Metal Than Money | भारतीय अर्थव्यवस्था में करेंसी या नोटों के साथ ही साथ सिक्कों की भी भूमिका बेहद अहम रही है। फिलहाल देश में ₹1 से एलर्क ₹20 तक के सिक्के चलन में हैं। इनका उत्पादन और प्रचलन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और केंद्र सरकार के नियंत्रण में होता है। पर हाल ही में सोशल मीडिया पर ₹5 के सिक्के के प्रचलन को लेकर कई अफवाहें सामने आई हैं, जिनमें कहा जा रहा है कि इस सिक्के का चलन बंद किया जा सकता है। हालांकि, सच्चाई इससे थोड़ी अलग है या कहें तो यह एक अधूरा सच है। ₹5 के सिक्के को लेकर विवाद कोई नया नहीं है।
देश में पहले ₹5 के सिक्के दो तरह के होते थे। एक ब्रास (पीतल) से बने सिक्के, जो हल्के और टिकाऊ होते हैं, और दूसरे भारी धातु से बने मोटे सिक्के। मोटे सिक्के अब बाजार में कम ही देखने को मिलते हैं क्योंकि इनका उत्पादन बंद कर दिया गया है। इसकी वजह यह है कि इन सिक्कों की धातु का मूल्य उसके वास्तविक मूल्य से अधिक हो गया था। देखा जाए तो ₹5 के मोटे सिक्कों को बंद करने का सबसे बड़ा कारण इसकी प्रोडक्शन कॉस्ट और इससे जुड़ी अवैध गतिविधियां थीं। इन सिक्कों में इस्तेमाल की गई धातु इतनी महंगी थी कि इसे गलाकर अन्य उत्पाद जैसे रेजर ब्लेड बनाना आसान हो गया था।
Rs 5 Coin: बांग्लादेश कनेक्शन?
एक मोटे ₹5 के सिक्के को गलाने के बाद इससे 4 से 6 ब्लेड बनाए जा सकते थे, जिनकी कीमत ₹10-₹12 तक पहुंच जाती थी। बताया जाता है कि एक ब्लेड की कीमत लगभग ₹2 तक होती है। इसके चलते सिक्के की धातु का मूल्य उसके अंकित मूल्य से अधिक हो गया। इसने सिक्कों की मांग को कम कर दिया और तस्करी को बढ़ावा दिया। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, इन सिक्कों की सबसे अधिक तस्करी भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में होती थी। तस्कर इन सिक्कों को गलाकर रेजर ब्लेड तैयार करते थे। बांग्लादेश के बाजार में इन ब्लेड की काफी मांग थी क्योंकि यह सस्ता और टिकाऊ होता था।
ये भी पढ़ें – अतुल सुभाष पर हंसने वाली जज रीता कौशिक पर भी कसेगा शिकंजा?
ऐसे में तस्करी और अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार ने ₹5 के सिक्के के डिजाइन और सामग्री में बड़ा बदलाव किया। नए सिक्के पतले और हल्के बनाए गए। इनमें सस्ती और कम मूल्य की धातुओं का इस्तेमाल किया गया, जिससे इन्हें गलाना और ब्लेड बनाना असंभव हो गया। इसके साथ ही सरकार ने मोटे सिक्कों का उत्पादन पूरी तरह बंद कर दिया। आज बाजार में केवल ब्रास के हल्के ₹5 के सिक्के उपलब्ध हैं।
भारत में सिक्कों का चलन
जैसा हमनें पहले ही बताया, वर्तमान समय में भारतीय बाजार में ₹1, ₹2, ₹5, ₹10 और ₹20 तक के सिक्के चलन में हैं। ₹5 के सिक्कों के दो प्रकार प्रचलित हैं, लेकिन इनमें से केवल ब्रास वाले सिक्के ही अब आमतौर पर देखे जाते हैं। इनका आकार और डिज़ाइन ऐसा है कि इन्हें तस्करी या अवैध कार्यों में इस्तेमाल करना संभव नहीं है। सरकार ने सुनिश्चित किया है कि ये सिक्के टिकाऊ और उपयोगी बने रहें। साथ ही, इन्हें ऐसी धातुओं से तैयार किया गया है जो सस्ती होने के साथ-साथ सुरक्षा के लिहाज से भी उपयुक्त हैं।
हाल ही में सोशल मीडिया पर ₹5 के सिक्के को लेकर यह अफवाह उड़ी कि इसका चलन बंद किया जा सकता है। हालांकि, यह पूरी तरह से गलत है। सरकार ने केवल मोटे सिक्कों का उत्पादन बंद किया है, लेकिन ₹5 के ब्रास के सिक्के अब भी प्रचलन में हैं और भविष्य में भी बनें रह सकते हैं। आने वाले समय में इस तरह के सुधार भारत की अर्थव्यवस्था को और मजबूत और सुरक्षित बनाने में मदद करेंगे। अगर आप भी ₹5 के सिक्के को लेकर किसी अफवाह के शिकार हैं, तो यह जान लें कि ₹5 के ब्रास के सिक्के पूरी तरह से प्रचलन में हैं और उनका उत्पादन बंद करने की कोई योजना नहीं है।