“कुकिंग टाइम 2 मिनट, डिलीवरी टाइम 8 मिनट” – क्या स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़?
आज के समय में हमारी लाइफ-स्टाइल तेजी से बदल रही है। इंटरनेट के बढ़ती पैंठ के चलते कई ऐसे परिवर्तन देखनें को मिल रहे हैं, जिनके बारे में कुछ साल पहले तक सोचना भी मानों असंभव था। तेजी से भागती आज की दुनिया में हम अपनी बुनियादी जरूरतों को भी “शॉर्टकट” में पूरा करने की कोशिश करते हैं। इसी कड़ी में “क्विक-कॉमर्स फॉर फूड” (Quick Commerce For Food) यानी 10 से 15 मिनट में खाना डिलीवर करने की सर्विस का चलन भी अब ग्राहकों, कंपनियों और निवेशकों तक को बहुत आकर्षित करने लगा है। जहां एक तरफ यह सुविधा हमें वक्त बचाने का विकल्प देती है, वहीं दूसरी ओर यह हमारे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल रही है। इसी को लेकर अब बॉम्बे शेविंग कंपनी के फाउंडर और सीईओ, शांतनु देशपांडे (Shantanu Deshpande) ने भी बेबाक़ी से अपनी राय व्यक्त की है।
शांतनु ने अपने एक लिंक्डइन पोस्ट में बताया कि कैसे “क्विक-कॉमर्स फॉर फूड” की हालिया अवधारणा हमारे देश में जड़ें जमा रही है। उनके अनुसार, हमारे खाने के पोषण स्तर में पहले ही गिरावट आ चुकी है क्योंकि पिछले 50 वर्षों में हमने कृषि में उत्पादन बढ़ाने के लिए पोषण को नजरअंदाज कर दिया। ऐसे में प्रोसेस्ड और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड की बढ़ती खपत स्वास्थ्य समस्याओं को और बढ़ा सकती है। हम जिस दौर में जी रहे हैं, वहां जंक फूड और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड का चलन अपने चरम पर है। शांतनु लिखते हैं, “₹49 के पिज्जा, ₹20 के जहरीले एनर्जी ड्रिंक्स और ₹30 के बर्गर जैसे जंक फूड की बढ़ती लत हमें स्वास्थ्य के लिए आवश्यक आर्थिक कवर के बिना चीन और अमेरिका की राह पर ले जा रही है।”
लेख के मुख्य बिंदु
Quick Commerce For Food पर शांतनु की राय
उन्होंने कहा कि फ्रोजेन प्यूरी व करी और पुरानी सब्जियों को गर्म कर, ताजा दिखने के लिए धनिया से सजाकर, कुछ 2 व्हीलर में पटक दिया जाता है, जो 10 मिनट में आपके दरवाजे तक पहुँचा दी जाती हैं, वह भी सिर्फ़ इसलिए क्योंकि आप 15 मिनट और इंतजार नहीं कर सकते थे या आप दाल-चावल के लिए भी कुकर चढ़ाने में बहुत आलस करते हैं। जाहिर है ऐसी खाने-पीने की चीजों में अक्सर पाम ऑयल, चीनी और अन्य हानिकारक तत्वों की मात्रा अधिक होती है, जो हमारी सेहत को लंबे समय तक नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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शांतनु देशपांडे ने यह भी बताया कि अधिकतर निवेशक और संस्थापक पहले से ही “क्विक-कॉमर्स (QCom) फॉर फूड” के लिए फैंसी शब्द ढूंढ रहे हैं ताकि इसे भारतीय कॉमर्स के अगले ट्रेंड के तौर पर पेश किया जा सके। इस बीच उन्होंने Zomato, Swiggy और Zepto से भी ऐसा न करने की अपील की। नियामकों से इन चीजों पर ध्यान देने की बात कहते हुए, उन्होंने कहा कि यह अच्छा होगा कि अगर हम वाक़ई 10 मिनट में अच्छा खाना ऑफर कर सकें, लेकिन शायद अभी यह संभव होता नहीं दिख रहा।
इस बीच शांतनु ने लोगों को भी सलाह दी कि वह कम-से-कम खुद खाना बना सकते हैं, जिसे एक ‘वयस्क कौशल’ करार भी दिया। उन्होंने साफ़ किया कि कोई भी इतना व्यस्त नहीं है कि एक अच्छा दाल-चावल या स्मूदी या सलाद या सैंडविच बनाने के लिए 10015 मिनट का समय न निकाल सके। शांतनु के मुताबिक, अगर इसे ऐसे ही अनियंत्रित रहने दिया गया तो यह कुछ दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है – “आप वहीं होते हैं, जो आप खाते हैं”
Quick Commerce और भारत
10 मिनट में खाना डिलीवर करना एक बड़ा बिजनेस मॉडल बन चुका है। बड़े निवेशक और स्टार्टअप्स इसे अगली बड़ी सफलता के रूप में देख रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या इतनी जल्दी डिलीवर किया गया खाना हमारे स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है? अक्सर ऐसा खाना पहले से तैयार किया गया होता है, जिसे बस गर्म करके और धनिया से सजाकर ताजा दिखाने की कोशिश की जाती है। इसके अलावा, डिलीवरी पार्टनर्स पर भी इसका सीधा प्रभाव पड़ता है। उन्हें ट्रैफिक और समय सीमा के दबाव में जोखिम उठाकर खाना पहुंचाना पड़ता है, जो कई बार सड़कों पर न केवल उनकी बल्कि अन्य लोगों की सुरक्षा को भी खतरे में डालता है।
क्या कहते हैं आँकड़े?
लेकिन हाल के दिनों में Zomato से लेकर Swiggy, Zepto, Ola’s Dash, Blinkit’s Bistro समेत बहुत सारे ऐसे स्टार्टअप हैं, जो इसे तेजी से उभरती संभावना के तौर पर देखते हुए इस दिशा में भारी निवेश भी कर रहे हैं। Chryseum की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के क्विक-कॉमर्स इंडस्ट्री ने विस्फोटक वृद्धि दर्ज की है। अकेले पिछले 2 सालों में भी यह सेगमेंट देश के भीतर बिक्री के मामले मीन 280 प्रतिशत से अधिक की बढ़त हासिल कर चुका है। इतना ही नहीं बल्कि इस इंडस्ट्री का GMV (Gross Merchandise Value) वित्त वर्ष 2021-22 में 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 3.34 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो 73 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर को दर्शाता है।
अनुमानित रूप से वर्ष 2029 तक यह 9.95 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है। बात की जाए भारत के क्विक कॉमर्स फूड कलेक्शन टेक-अवे सेक्टर (या Quick Commerce For Food) की तो यह 2023-28 के दौरान 7.7 प्रतिशत से अधिक की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज कर सकता है, ऐसा डेटा और एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबलडेटा के आँकड़ों में सामने आया है।