Qila Mubarak: पंजाब में है भारत का सबसे पुराना किला
भारत का सबसे पुराना जीवित किला – किला मुबारक – पंजाब के बठिंडा में स्थित है।
Qila Mubarak, India’s Oldest Fort | जब पंजाब का नाम सुनते हैं, तो हमारे मन में लहलहाते खेत, लाजवाब पंजाबी भोजन, और स्वर्ण मंदिर की छवि उभरती है। लेकिन अगर बात की जाए ऐतिहासिक किलों की, तो पंजाब आमतौर पर चर्चा में नहीं आता। फिर भी, यह जानना आश्चर्यजनक हो सकता है कि भारत का सबसे पुराना जीवित किला, किला मुबारक, पंजाब के बठिंडा में स्थित है। यह किला न केवल पंजाब का गौरव है बल्कि भारतीय इतिहास का भी अहम हिस्सा है।
Overview (Table of Contents)
किला मुबारक का इतिहास (History of Qila Mubarak)
किला मुबारक का निर्माण 90-110 ईस्वी में राजा दाब द्वारा किया गया था, जो कि कुशान साम्राज्य के शासक थे। यह किला 1,900 वर्षों से अधिक पुराना है और इसने कई शासकों और साम्राज्यों का उत्थान और पतन देखा है। इस किले पर सबसे पहले महमूद गजनवी और फिर मुहम्मद गौरी ने आक्रमण किया था। दोनों ही शासक पंजाब से होते हुए भारत के केंद्र तक पहुंचे थे।
लेकिन इस किले का सबसे प्रमुख ऐतिहासिक अध्याय 1236-1240 के बीच दर्ज किया गया, जब दिल्ली सल्तनत की पहली महिला शासक रज़िया सुल्ताना को यहां कैद किया गया था। ऐसा कहा जाता है कि बठिंडा के तत्कालीन गवर्नर, मलिक अल्तुनिया, रज़िया सुल्ताना से प्रेम कर बैठे थे। उन्होंने रज़िया को अपनी पत्नी बना लिया और उसके साम्राज्य को वापस पाने के लिए संघर्ष किया, लेकिन अंततः दोनों को हार का सामना करना पड़ा और दिल्ली से वापसी के दौरान उनकी हत्या कर दी गई।
किले की वास्तुकला (Architecture of Qila Mubarak)
किला मुबारक की संरचना एक अद्वितीय इंडो-इस्लामिक शैली में है, जिसमें कई शासकों ने अपनी छाप छोड़ी है। यह किला पत्थर की ऊंची दीवारों, विशाल द्वारों, और ऊंचे बुर्जों के लिए प्रसिद्ध है। किले में 32 बुर्ज (bastions) हैं, जिनमें से कुछ समय के साथ ध्वस्त हो चुके हैं। इसे बठिंडा किला भी कहा जाता है, और इसके अंदर एक गुरुद्वारा भी स्थित है, जो सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी को समर्पित है। माना जाता है कि 1705 में गुरु गोबिंद सिंह जी ने इस किले का दौरा किया था।
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किला मुबारक का सांस्कृतिक महत्व (Cultural Significance)
वर्तमान समय में, किला मुबारक एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर स्थल बन चुका है। यह किला न केवल इतिहासकारों और पर्यटकों को आकर्षित करता है, बल्कि वास्तुकला प्रेमियों के लिए भी एक अद्वितीय धरोहर है। हाल के वर्षों में, पंजाब सरकार ने इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं।
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हालांकि, किले के कुछ हिस्से विशेष रूप से रानी महल, जो मुख्य द्वार के ऊपर स्थित है, की स्थिति चिंताजनक हो चुकी थी। इसे संरक्षित करने के लिए बड़े लकड़ी के पैनलों का उपयोग किया गया है।
किला मुबारक कैसे पहुंचे? (How to Reach?)
साधन | विवरण |
---|---|
हवाई मार्ग | बठिंडा हवाई अड्डा, जो किले से लगभग 26 किलोमीटर की दूरी पर है। |
रेल मार्ग | बठिंडा जंक्शन निकटतम रेलवे स्टेशन है। |
सड़क मार्ग | बठिंडा शहर सड़क मार्ग से प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। |
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
1. किला मुबारक का निर्माण किसने करवाया था?
किला मुबारक का निर्माण कुशान साम्राज्य के राजा दाब ने 90-110 ईस्वी में करवाया था।
2. किला मुबारक में रज़िया सुल्ताना का क्या महत्व है?
रज़िया सुल्ताना, जो दिल्ली सल्तनत की पहली महिला शासक थीं, को इस किले में 1236-1240 के बीच कैद किया गया था।
3. किला मुबारक किस प्रकार की वास्तुकला का उदाहरण है?
यह किला इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का एक अनूठा उदाहरण है, जिसमें कई शासकों ने योगदान दिया है।
4. किला मुबारक में कौन सा प्रमुख धार्मिक स्थल स्थित है?
किले के अंदर एक गुरुद्वारा स्थित है, जो गुरु गोबिंद सिंह जी को समर्पित है।
5. किला मुबारक की स्थिति कैसे है?
हाल के वर्षों में, किले के कुछ हिस्सों में गिरावट आई है, विशेष रूप से रानी महल, जिसे संरक्षित करने के लिए लकड़ी के पैनलों का उपयोग किया गया है।
किला मुबारक केवल एक किला नहीं है, बल्कि यह भारत के इतिहास का एक अद्वितीय दस्तावेज़ है। यह किला न केवल अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसमें दर्ज किए गए ऐतिहासिक और सांस्कृतिक घटनाओं के कारण भी एक महत्वपूर्ण धरोहर है।