Online Attendance In Schools: स्थगित हुआ शिक्षक हाजिरी का नया नियम?
यूपी के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी को लेकर विरोध जारी। इस बीच आदेश के स्थगित किए जाने की खबर, क्या है सच्चाई? आइए देखते हैं!
उत्तर प्रदेश के परिषदीय, कंपोजिट और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में ‘डिजिटल अटेंडेंस‘ या ‘ऑनलाइन हाजिरी‘ (Online Attendance In UP Schools Teachers Protest) की नई व्यवस्था ने शिक्षक समुदाय में हंगामा मचा दिया है। 8 जुलाई से शुरू हुई इस पहल के तहत शिक्षकों को स्कूल के खुलने और बंद होने के समय प्रेरणा ऐप के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज करनी होती है। हालांकि, शिक्षकों ने इसे ‘काला कानून’ करार देते हुए काली पट्टी बांधकर विरोध (Boycott Online Attendance) प्रदर्शन किया है।
वहीं शासन का तर्क है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की लेट-लतीफी और गैर-मौजूदगी जैसी लापरवाहियों पर अंकुश लगाने के इरादे से यह निर्णय लिया गया है। लेकिन ऑनलाइन हाजिरी को लेकर बढ़ते विरोध के बीच आइए समझने की कोशिश करते हैं कि नए नियम हैं क्या? और इनको लेकर शिक्षक किस तरह की आपत्तियां या बदलाव के सुझाव दे रहे हैं;
Overview (Table of Contents)
Online Attendance In UP Schools, Teachers Protest
शिक्षकों की ‘डिजिटल अटेंडेंस’ क्या है?
उत्तर प्रदेश में परिषदीय, कंपोजिट और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में डिजिटल अटेंडेंस (ऑनलाइन हाजिरी) की तर्ज पर एक नई प्रणाली शुरू की गई है, जिसमें शिक्षकों को स्कूल खुलने के 15 मिनट पहले और स्कूल बंद होने के 15 मिनट बाद अपनी उपस्थिति फोटो के माध्यम से प्रेरणा ऐप पर दर्ज करनी होती है।
यह ऐप केवल स्कूल परिसर में सक्रिय रहता है और निश्चित समय के भीतर ही अटेंडेंस दर्ज की जा सकती है। हालांकि, शिक्षकों के विरोध के बाद उन्हें 30 मिनट का ग्रेस टाइम दिया गया है, जिससे अब वे स्कूल खुलने के आधे घंटे बाद तक भी अपनी उपस्थिति दर्ज कर सकते हैं।
शिक्षकों का विरोध क्यों?
शिक्षकों का कहना है कि इस नई व्यवस्था से कई समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं:
- मौसम और रास्ते की समस्याएँ: बारिश के मौसम में बाढ़ और खराब रास्तों के कारण समय पर स्कूल पहुंचना मुश्किल हो जाता है।
- आपात स्थितियों में कठिनाई: आपातकालीन स्थिति में भी शिक्षकों को समय पर हाजिरी दर्ज करनी पड़ती है, जो असुविधाजनक है।
- लोकेशन एरर: ऐप की लोकेशन सुविधा कई बार गलत होती है, जिससे सही समय पर भी हाजिरी दर्ज नहीं हो पाती।
- समय की पाबंदी: छुट्टी के समय की सख्ती भी शिक्षकों के लिए परेशानी का सबब बन रही है, खासकर यदि कोई इमरजेंसी आ जाए।
शिक्षकों की मांगें
शिक्षकों ने कुछ प्रमुख मांगें रखी हैं:
- हाफ सीएल की व्यवस्था: शिक्षकों को आधे दिन की छुट्टी का प्रावधान हो।
- अर्जित अवकाश: शिक्षकों को नियमित अवकाश के साथ अर्जित अवकाश भी मिले।
- कैज़ुअल लीव: अधिकतर शिक्षकों का कहना है कि चार दिन देरी पर एक कैज़ुअल लीव काट ली जाए।
- आपात स्थिति में ढील: शिक्षकों की यह भी मांग है कि आपात स्थिति में ऑनलाइन हाजिरी को लेकर ढील दी जाए। उनका तर्क है कि छुट्टी के वक्त की तय समय सीमा के चलते यदि कोई इमरजेंसी आ गई तो शिक्षक भला कैसे जाएगा?
- 24 घंटे ऐप एक्सेस: प्रेरणा ऐप 24 घंटे उपलब्ध रहे ताकि शिक्षकों को समय की पाबंदी से राहत मिले।
बेसिक शिक्षा विभाग का पक्ष
बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव ने शिक्षकों से अपील की है कि वे ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराएं क्योंकि उन्हें अब अतिरिक्त समय दिया गया है। उनका कहना है कि शिक्षकों के देरी से आने के कारण विद्यार्थियों की शुरुआती कक्षाएं प्रभावित होती हैं और विद्यार्थियों का हित सर्वोपरि है। फिलहाल डिजिटल अटेंडेंस व्यवस्था को लेकर शिक्षकों का विरोध जारी है।
Teachers Digital Attendance Order Cancelled?
इस बीच एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह सामने आ रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार जल्द शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी संबंधित यह निर्णय वापस ले सकती है। रिपोर्ट के अनुसार बेसिक शिक्षा विभाग और शिक्षक संघ के बीच वार्ता हुई है। बेसिक शिक्षा विभाग के लगभग 6 लाख टीचरों के विरोध करने की बात सामने आई है।
लेकिन यह साफ कर दें कि ऑनलाइन हाजिरी नियम के स्थगित होने को लेकर अभी तक किसी प्रकार की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है। इस संबंध में विभाग द्वारा आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक सूचना जारी नहीं की गई है।
हालांकि इस बीच समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने एक पोस्ट करते हुए लिखा, “आख़िरकार शिक्षकों की एकजुटता के सामने भाजपा सरकार को ‘डिजिटल अटेंडेंस’ का अपना अतार्किक निर्णय स्थगित करना ही पड़ा। भाजपा सरकार को अब ये समझ आ गया होगा कि लोकतंत्र में जनता की आवाज़ ही सबसे बड़ा आदेश होती है न कि सत्ता की मनमर्ज़ी। शिक्षकों को इस नैतिक विजय के लिए बधाई! शिक्षकों पर अविश्वास जताकर भाजपा सरकार ने साबित कर दिया है कि न तो वो शिक्षा का सम्मान करती है, न शिक्षकों का। भाजपा ने अध्यापकों का भरोसा खो दिया है। आशा है इस निर्णय के पीछे विधानसभा के आगामी उपचुनाव में भाजपा की हार का डर कारण नहीं है और उपचुनावों के बाद ये मनमाना आदेश फिर से लागू नहीं होगा। एक शिक्षक परिवार से होने के नाते हम शिक्षकों का दर्द भी समझते हैं और उनकी सही माँगों और एकता की ताक़त को भी। हम सदैव शिक्षकों के साथ हैं। ‘डिजिटल अटेंडेंस’ का आदेश स्थगित नहीं, रद्द होना चाहिए। शिक्षक एकता ज़िंदाबाद!”
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