UPSC नहीं, मैनेजमेंट स्कूलों से हो ‘IAS अधिकारियों’ का चयन: नारायणमूर्ति
Infosys के सह-संस्थापक एन आर नारायणमूर्ति का सुझाव है कि सरकार को UPSC की प्रतियोगी परीक्षा के बजाय मैनेजमेंट स्कूलों से IAS अधिकारियों की भर्ती करनी चाहिए।
Narayan Murthy Suggests Select IAS from Management Schools Instead of UPSC | इन्फोसिस (Infosys) के सह-संस्थापक और भारतीय IT उद्योग के प्रमुख चेहरा, एन आर नारायणमूर्ति ने हाल ही में यह सुझाव दिया है कि सरकार को यूपीएससी की प्रतियोगी परीक्षा के बजाय मैनेजमेंट स्कूलों से आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति पर विचार करना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपील करते हुए कहा कि यह परिवर्तन भारत की सार्वजनिक सेवा की डिलीवरी और प्रशासनिक दक्षता में एक नया अध्याय जोड़ सकता है।
नारायणमूर्ति का मानना है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा का मौजूदा ढांचा एक पुरानी प्रशासनिक मानसिकता पर आधारित है, जो 1858 से चला आ रहा है। उनके अनुसार, यह व्यवस्था अब एक सीमित दृष्टिकोण का पालन करती है और इसे आधुनिक भारत की आवश्यकताओं के अनुसार ढालने की आवश्यकता है। उन्होंने इसे प्रबंधन-उन्मुख दृष्टिकोण की ओर स्थानांतरित करने की वकालत की, जो कि लक्ष्यों को प्राप्त करने की योजना और रणनीतिक दृष्टिकोण पर केंद्रित होगा। उन्होंने सीएनबीसी टीवी18 के एक कार्यक्रम में ये तमाम बातें कहीं।
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Narayan Murthy On IAS Selection
नारायणमूर्ति के अनुसार, प्रशासनिक दृष्टिकोण केवल व्यवस्था बनाए रखने पर जोर देता है, जबकि प्रबंधन दृष्टिकोण उच्च आकांक्षाओं, लोगों का भरोसा बढ़ाने, काम की गति बढ़ाने और लागत नियंत्रण पर अधिक ध्यान देता है। ऐसे में, प्रबंधकीय मानसिकता वाले लोगों के चयन से सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद की जा सकती है।
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नारायणमूर्ति ने सुझाव दिया कि सिविल सेवा में नियुक्ति के लिए प्रबंधन स्कूलों के स्नातकों का चयन एक प्रगतिशील कदम हो सकता है। प्रबंधन स्कूलों के छात्र बेहतर रणनीतिक सोच, विश्लेषणात्मक क्षमता, और समय के साथ कुशल निर्णय लेने में सक्षम होते हैं। उनके पास आधुनिक प्रशासनिक आवश्यकताओं को पूरा करने का कौशल होता है।
IAS चयन को लेकर Narayan Murthy का नया आइडिया
वर्तमान में यूपीएससी परीक्षा में सफल उम्मीदवारों का चयन होता है और उन्हें लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में प्रशिक्षण दिया जाता है, जो उन्हें केवल सामान्य प्रशासक के रूप में तैयार करता है।
नारायणमूर्ति के अनुसार, मैनेजमेंट स्कूलों से प्रशिक्षित युवाओं का चयन करने पर, उन्हें उनके विशेषज्ञता के क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जा सकता है जैसे कि कृषि, रक्षा या विनिर्माण। इससे उन्हें अपने चुने हुए क्षेत्र में अधिक अनुभव और विशेषज्ञता प्राप्त होगी और वे देश की सेवा में लंबे समय तक प्रभावी रूप से योगदान दे सकेंगे।
प्रबंधन दृष्टिकोण को अपनाने का एक प्रमुख लाभ यह होगा कि इससे सरकारी कामों में सुस्ती और अक्षमता को कम किया जा सकेगा। नारायणमूर्ति के अनुसार, मौजूदा ढांचा कई बार सरकारी प्रक्रियाओं में अनावश्यक जटिलता पैदा करता है। प्रबंधन स्कूलों के स्नातक तेज गति से काम को पूरा करने, नई योजनाओं को लागू करने और जटिल समस्याओं का समाधान करने में माहिर होते हैं, जो उन्हें आईएएस अधिकारियों के रूप में भी अधिक प्रभावी बना सकता है।
नारायणमूर्ति का यह भी मानना है कि सरकार को अधिक उदार दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को कैबिनेट मंत्री स्तर पर जिम्मेदारी देनी चाहिए। इससे बड़े निर्णयों में कुशलता आएगी और कार्य कुशलता में वृद्धि होगी।
नारायणमूर्ति का सुझाव: “सप्ताह में 70 घंटे काम की आदत अपनाएं”
हाल ही में नारायणमूर्ति ने सप्ताह में 70 घंटे काम करने के सुझाव को लेकर काफी चर्चा में रहे। हालाँकि इस बयान को लेकर नारायणमूर्ति को आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा था।
इस पर उन्होंने अपने विचारों को स्पष्ट करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी देश की सेवा में प्रति सप्ताह लगभग 100 घंटे काम करते हैं। उनके अनुसार, कड़ी मेहनत करने की मानसिकता को बढ़ावा देकर ही देश में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। उन्होंने Infosys में अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वह साढ़े छह दिन 14 घंटे काम करते थे।