मनोज जरांगे ने शुरू किया ‘आमरण अनशन’, महाराष्ट्र में फिर उठा मराठा आरक्षण मुद्दा
इस बार सरकार से मराठा आरक्षण लेने में सफलता नहीं मिलती है तो मनोज जरांगे आने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी खड़े हो सकते हैं।
महाराष्ट्र में एक बार फिर ‘मराठा आरक्षण‘ (Maratha Reservation) का मुद्दा गर्म होता नजर आ रहा है। पहले भी इस आंदोलन के चलते सुर्खियों में आए मनोज जरांगे पाटिल ने आज से अनिश्चितकालीन भुख हड़ताल (Manoj Jarange Begins Hunger Strike Again) शुरू कर दी है। मनोज जरांगे ने एक बार फिर महाराष्ट्र सरकार को जनवरी में किए गए वादों की याद दिलाते हुए अनशन शुरू किया है।
शुरुआती जानकारी के अनुसार, मनोज जरांगे के इस अनशन के लिए स्थानीय पुलिस की इजाजत नहीं दी है। हालांकि इस विषय में कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा जा रहा है कि अंतिम समय में स्थानीय प्रशासन की ओर से अनुमति दे दी गई थी। पर इसको लेकर आधिकारिक रूप से अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है।
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Manoj Jarange Begins Hunger Strike Again
फिलहाल मराठा आरक्षण लागू करने की मांग के साथ मनोज जारांगे पाटिल ने आमरण अनशन शुरू कर दिया है। यह अनिश्चितकालीन भुख हड़ताल मनोज जरांगे पाटिल ने अपने गांव अंतरावली-सरती में शुरू की है, जिसमें बड़ी संख्या में उनके समर्थक भी साथ दे रहे हैं।
आपको याद दिला दें, इसी साल जनवरी में आंदोलन के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मनोज जरांगे पाटिल के साथ मंच पर मुलाकात करते हुए मराठा आरक्षण से संबंधित ड्राफ्ट की कॉपी सौंपी थी। इसके बाद ऐसा लगने लगा था कि अब शायद महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन थम सकता है और कुछ दिनों के लिए ऐसा हुआ भी।
लेकिन हाल के दिनों में मांगो को पूरा होता न देख, मनोज जरांगे ने फिर से राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बताते चलें, मराठा नेता मनोज जरांगे अगस्त 2023 में अपनी एक भूख हड़ताल के साथ ही इन आंदोलनों का नेतृत्व कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने तमाम विरोध प्रदर्शनों, रैलियां और यहां तक की नवी मुंबई की लंबी पद यात्रा जैसी तरीकों का भी सहारा लिया।
मनोज जरांगे लड़ेंगे चुनाव?
वैसे आमरण अनशन के साथ ही साथ एक और दिलचस्प खबर यह आ रही है कि अगर इस बार महाराष्ट्र की राज्य सरकार से मराठा आरक्षण लेने में सफलता नहीं मिलती है तो मनोज जरांगे आने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी खड़े हो सकते हैं।
असल में महाराष्ट्र की कुल आबादी में मराठाओं की हिस्सेदारी लगभग 33 प्रतिशत बताई जाती है। ऐसे में वह बीतें लगभग 4 दशकों से राज्य में नौकरियों और शिक्षा हेतु आरक्षण की मांग कर रहे हैं। हाल एक दिनों में मनोज इस आंदोलन व मांग की एक प्रखर आवाज बनकर उभरे हैं।