Mamata Banerjee Action: कोलकाता पुलिस कमिश्नर और 2 स्वास्थ्य अधिकारी हटाए गए
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने डॉक्टरों की पांच मांगों में से तीन को मानते हुए कोलकाता पुलिस कमिश्नर और 2 स्वास्थ्य अधिकारियों को हटाने का ऐलान किया है।
Mamata Banerjee -Doctors Meet | कोलकाता में जूनियर डॉक्टर की रेप और मर्डर के मामले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस दर्दनाक घटना के बाद जूनियर डॉक्टरों ने न्याय की मांग करते हुए 38 दिनों तक धरना और हड़ताल जारी रखी। आखिरकार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने डॉक्टरों की पांच मांगों में से तीन को मानते हुए कई अहम घोषणाएं कीं। एक बड़ी कार्यवाई के तहत सीएम ममता की सरकार ने कोलकाता पुलिस कमिश्नर और 2 स्वास्थ्य अधिकारियों को हटाने का ऐलान किया है।
लगातार बढ़ते विरोध और हड़ताल के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जूनियर डॉक्टरों के साथ एक लंबी बैठक के बाद तीन प्रमुख मांगों को स्वीकार किया। इसमें मुख्य रूप से दो शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारियों – मेडिकल एजुकेशन के डायरेक्टर और हेल्थ सर्विसेस के डायरेक्टर – का ट्रांसफर शामिल है। इसके साथ ही, कोलकाता के नॉर्थ जोन के पुलिस प्रमुख को भी हटाने का फैसला लिया गया, जहां यह दर्दनाक घटना घटी थी।
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Mamata Banerjee – Doctors Meet
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि अस्पताल की आधारभूत संरचना में सुधार के लिए ₹100 करोड़ का बजट जारी किया जाएगा। हालांकि, जूनियर डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल जारी रखने का फैसला किया है जब तक कि सरकार सभी वादों को औपचारिक रूप से लागू नहीं करती।
ममता बनर्जी ने मानी तीन बड़ी मांगे
डॉक्टरों ने अपनी पांच प्रमुख मांगों में से तीन को पूरा होते देखा, लेकिन आंदोलन पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। उनकी अन्य मांगों में अस्पताल में भ्रष्टाचार के नेटवर्क को तोड़ने और स्वास्थ्य सचिव को हटाने की भी मांग शामिल है। डॉक्टरों ने स्पष्ट किया कि जब तक सरकार औपचारिक आदेश जारी नहीं करती, तब तक उनका आंदोलन और कार्य बंद रहेगा। डॉक्टर्स का यह भी कहना है कि उन्होंने केवल सरकार की मौखिक आश्वासन ही सुनी है और वे ठोस कार्यवाही की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
RG Kar Medical College Rape-Murder case | West Bengal CM Mamata Banerjee says, ” We tried listening to junior doctors…we have decided to change the DC (Kolkata Police Commissioner)…he agreed to resign himself…in health department, they demanded the removal of 3 persons and… pic.twitter.com/f7xkS4lNYM
— ANI (@ANI) September 16, 2024
आंदोलन का क्या होगा अगला कदम?
जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि वे तब तक आंदोलन जारी रखेंगे जब तक सरकार उनके सभी मांगों को पूरा नहीं करती। हालांकि, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्थिति को संभालने के लिए सकारात्मक कदम उठाए हैं, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि वे सरकार के औपचारिक आदेशों का इंतजार कर रहे हैं।
कोलकाता केस (Mamata Banerjee – Doctors Meet)
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की 31 वर्षीय डॉक्टर की 9 अगस्त को रेप और हत्या की खबर ने पूरे देश को झकझोर दिया। डॉक्टर का अर्ध-नग्न शव अस्पताल के सेमिनार हॉल में अगले दिन सुबह पाया गया। इस दर्दनाक घटना का मुख्य आरोपी कोलकाता पुलिस का सिविक वॉलिंटियर संजय रॉय है, जिसे बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी अस्पताल के पुलिस चौकी पर तैनात था और उसे सभी विभागों में प्रवेश की अनुमति थी।
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इस घटना की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। डॉक्टर के परिवार को कथित रूप से पहले आत्महत्या का दावा किया गया और पुलिस ने परिवार को जबरन अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया। इसके अलावा, इस मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ के भी आरोप लगे। इस सबके बीच, सुप्रीम कोर्ट और कलकत्ता हाईकोर्ट ने पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े किए।
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया और जन समर्थन
डॉक्टरों के इस आंदोलन को न केवल पश्चिम बंगाल में बल्कि पूरे देश से समर्थन मिला। इस हड़ताल के दौरान कई मरीजों को असुविधा का सामना करना पड़ा, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए डॉक्टरों को हड़ताल समाप्त करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि मरीजों की स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों को तुरंत काम पर लौटना चाहिए। हालांकि, पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों ने इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया और अपने आंदोलन को जारी रखा।
भ्रष्टाचार के आरोप और सीबीआई जांच
रेप-मर्डर के इस मामले में भ्रष्टाचार और सबूतों के साथ छेड़छाड़ के आरोपों ने मामले को और भी पेचीदा बना दिया। सीबीआई ने अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को गिरफ्तार किया, जिन पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ और भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।
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कोलकाता में डॉक्टर की रेप-मर्डर के बाद से उत्पन्न हुई स्थिति ने राज्य और देशभर में हलचल मचा दी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने डॉक्टरों की प्रमुख मांगों को स्वीकार कर स्थिति को संभालने का प्रयास किया है, लेकिन आंदोलन की जड़ें अभी भी गहरी हैं। इस घटना ने स्वास्थ्य तंत्र में सुधार की आवश्यकता को उजागर किया है और साथ ही भ्रष्टाचार और न्याय व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए हैं।