ज्वेलरी कंपनी Jewelbox ने जुटाई 3.5 करोड़ रुपए की फंडिंग
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स्टार्टअप फंडिंग: ज्वेलरी कंपनी Jewelbox ने 3.5 करोड़ रुपए का एक फंडिंग (Funding) राउंड सफलतापूर्वक पूरा किया है। इस निवेश की अगुवाई JITO इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन फाउंडेशन (JIIF) ने की। JIIF ने कंपनी में 2.97 करोड़ रुपए लगाए। शेष पूँजी करीबी दोस्तों और परिवार के सदस्यों से प्राप्त की गई। भारत में JIIF की पहचान एक कम्यूनिटी आधारित एंजेल नेटवर्क की है।
कोलकाता आधारित यह ज्वेलरी स्टार्टअप जुटाई गई इस धनराशि का उपयोग अपनी टीम निर्माण व विस्तार समेत और अधिक रिटेल स्टोर्स खोलने के लिए करेगा। यह स्टार्टअप लैब में बनाए गए हीरों (डायमंड) की ज्वेलरी बनाने के लिए जाना जाता है। Jewelbox शार्क टैंक इंडिया (Shark Tank India) के तीसरे सीजन में भी नजर आ चुका है।
Startup Funding Update – Jewelbox
वर्ष 2022 में Jewelbox की शुरुआत दो भाई-बहन, विदिता कोचर और निपुण कोचर ने साथ मिलकर की थी। कंपनी लैब ग्रोन डायमंड से बनी बेहद सुंदर और लक्जरी ज्वेलरी की पेशकश करती है।
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लैब ग्रोन डायमंड्स को सर्टिफिकेशन भी दिया जाता है। इन्हें इंटरनेशनल जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट जैसे संस्थानों द्वारा सर्टिफाई किया जाता है। यह भारतीय स्टार्टअप भी अपनी ज्वेलरी सर्टिफाई कराता है। इसमें हॉलमार्किंग भी होती है।
लैब में तैयार किए जाने वाले इन हीरों की मांग निरंतर बढ़ रही है। Teji Mandi के निष्कर्षों से यह आंदाजा लगाया जाता है कि वर्ष 2030 तक लैब ग्रोन डायमंड्स का आंकड़ा 160 मिलियन कैरेट तक पहुंच सकता है।
लैब में डायमंड बनाने का तरीका
- नेचुरल डायमंड शीट को विशिष्ट लैब कंडीशन पर रिएक्टर में रखा जाता है।
- उच्च तापमान प्रदान करते हुए, कार्बन गैस और मीथेन गैस से प्रेशर अप्लाई किया जाता है।
- यह कुछ समय में एक पत्थर सा हो जाता है।
- इसे ही लैब ग्रोन डायमंड या लैब में बने हीरे की संज्ञा दी जाती है।
- कटिंग, पॉलिसिंग व अन्य प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद इसकी ज्वेलरी बनाई जाती हैं।
लैब में डायमंड के फायदे
- नेचुरल डायमंड से लगभग 80% सस्ता
- पर्यावरण को क्षति नहीं पहुंचाता
- माइन्स या खुदाई की जरूरत नहीं होती
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