‘संविदा भर्ती’ को लेकर पूर्व IAS सूर्य प्रताप सिंह ने कही अहम बात
‘संविदा वाली नौकरियां’ या एक नए तरह का घोटाला? पूर्व IAS सूर्य प्रताप सिंह ने कई युवाओं के दर्द को दी आवाज़। जानिए उन्होंने क्या कहा?
Contract Jobs – “नौकरी है भी, और नहीं भी” | एक छोटे से कमरे की सीलन भरी दीवारों में चिपके तमाम मैप्स, फॉर्मूले के चार्ट और लिखकर चिपकाए गए टाइम-टेबल को रोज निहारने वाली आँखों में अक्सर एक ही सपना होता है, एक सरकारी ‘नौकरी’ मिल जाए तो जीवन में कई अनिश्चितताओं से छुटकारा मिले। किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र से पूछिए, तो वो बताएगा पक्की नौकरी की अहमियत। एक नौकरी सिर्फ पैसा ही नहीं देती, बल्कि मानसिक रूप से भी ‘जीवन में एक निश्चितता’ का एहसास कराती है। पर विडंबना देखिए! आज के समय ‘नौकरी’ मानों ‘अनिश्चितताओं’ के पेपर में लपेटकर थमाई जा रही है। हम बात कर रहे हैं संविदा भर्तियों की।
वही संविदा भर्ती, जिसको ज्वाइन करने के बाद भी आधा दिमाग सिर्फ भविष्य की नौकरी के बारे में सोचने पर ही लगा रहता है, कि आखिर इसके खत्म होने के बाद क्या? संविदा भर्ती ऐसी है कि देने वाले की पाँचों उँगलियाँ घी में और नौकरी पाने वाला जॉब शुरू होने से खत्म होने तक बस हलकान!
पहले तो संविदा भर्ती (Contract Jobs) करने वाली एजेंसियों के दलालों से जूझों, फिर नौकरी मिली भी तो अधिकतर में सैलरी इतनी कम की उसको ‘सैलरी’ कहना भी उचित होगा या नहीं, वो एक अलग सवाल है। दूसरी ओर आर्थिक चुनौतियों के चलते संविदा नौकरी कर भी ली, तो सरकारी नौकरी की परीक्षाओं में ध्यान न दे पाने और उम्र निकल जाने की ऊहापोह!
इतना ही नहीं बल्कि कार्यस्थल पर भी आपको लाखों की सैलरी पानें वालों की अपेक्षा कई गुना अधिक काम दिया जाएगा। और हां! छोटी सी गलती की भी गुंजाइश मत रखिएगा, क्योंकि याद रहे आप सरकारी कर्मचारी नहीं हैं और न ही किसी एमएनसी के कर्मी, आप संविदा पर हैं, आपको तुरंत बिना किसी स्पष्ट कारण के भी निकाला जा सकता है।
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Former IAS Officer’s Thoughts on Contract Jobs
इसी को लेकर अब खुद पूर्व IAS सूर्य प्रताप सिंह ने भी संविदा भर्तियों के संदर्भ में युवाओं का दर्द बयां किया। उन्होंने X (Twitter) पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘संविदा पर नौकरी देना बंद करिये। देना है तो पक्की नौकरी दें या फिर न दो। संविदा भी एक तरह का अग्निवीर ही है, एक तो [कर्मचारी] कम वेतन पाता है, दूसरा उम्र निकलने के बाद संविदा कर्मी न घर का रहता है और न घाट का। संविदा भर्ती एजेंसियाँ भी दलालों ने खोल रखी हैं। ये भी एक तरह का घोटाला है।’
संविदा पर नौकरी देने बंद करिये।
देना है तो पक्की नौकरी दी या फिर न दो।
संविदा भी एक तरह का अग्निवीर ही है, एक तो कम वेतन पता है, दूसरा उम्र निकलने के बाद संविदा कर्मी न घर का रहता है और न घाट का।
संविदा भर्ती एजेंसियाँ भी दलालों ने खोल रखी हैं। ये भी एक एक तरह का घोटाला है।
— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) August 26, 2024
ये सब आज के दौर का एक व्यापक सच है। पहले तो सरकारी भर्तियों में वैसे ही कमी आई है, दूसरा भर्ती आती भी हैं तो अधिकतर पूरी नहीं हो पाती। और इन सब के बीच सोने पर सुहागा ये कि अब अधिकतर विभागों की पहली पसंद ही मानों संविदा भर्ती हो चुकी है।
People’s Reactions To Contractual Jobs
पूर्व आईएएस अफसर के पोस्ट पर तमाम लोगों ने अपनी राय भी व्यक्त की। कुछ ने लिखा, ‘संविदा प्रथा देश के ग्रोथ के लिए खतरनाक है. इसमे सिवाय बड़े बड़े दलालों के अतिरिक्त किसी को कोई लाभ नहीं’
वहीं कुछ ही राय रही कि ‘सरकार को पूर्णकालीन नौकरी लानी पड़ेगी। संविदा पर नौकरी दे कर नौजवानों के साथ खिलवाड़ हो रहा और सरकार सिर्फ अपने आंकड़े बढ़ा रही। इससे किसी का भला नही होगा।’
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