Nirmala Sitharaman: वित्त मंत्री पर दर्ज होगी FIR, इलेक्टोरल बॉन्ड का मामला
जबरन इलेक्टोरल बॉन्ड की उगाही के मामले में बेंगलुरु की जनप्रतिनिधि अदालत ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) और बीजेपी नेता जेपी नड्डा समेत अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
FIR Against Nirmala Sitharaman | जनप्रतिनिधि अदालत (बेंगलुरु) ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अन्य के खिलाफ इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से कथित जबरन वसूली के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। इस आदेश के पीछे जनाधिकार संघर्ष परिषद (JSP) के सह-अध्यक्ष आदर्श अय्यर की शिकायत को कारण बताया जा रहा है, जिन्होंने अदालत में याचिका दायर कर कार्रवाई की मांग की थी।
आदर्श अय्यर द्वारा दर्ज की गई शिकायत में आरोप लगाया गया कि चुनावी बॉन्ड योजना का इस्तेमाल धमकी देकर पैसे वसूलने के लिए किया गया। शिकायत में आरोप लगाया गया कि इलेक्टोरल बॉन्ड की आड़ में राजनीतिक दलों से धन उगाही की गई और इसे कथित रूप से एक वैध तरीके के रूप में प्रस्तुत किया गया। शिकायत में निर्मला सीतारमण के साथ-साथ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, कर्नाटक के पूर्व भाजपा अध्यक्ष नलिन कुमार कटील और बी. वाई. विजयेंद्र का भी नाम शामिल है।
Overview (Table of Contents)
निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) पर FIR?
अदालत ने इस शिकायत पर विचार करते हुए बेंगलुरु के तिलक नगर पुलिस स्टेशन को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने पुलिस को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि मामले की निष्पक्षता और गंभीरता से जांच की जाए। इसके अलावा, अदालत ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 10 अक्टूबर निर्धारित की है, जब इस मामले में आगे की कार्यवाही की जाएगी।
ये भी पढ़ें – कंपनी ने निकाला, फिर ‘एक्सपीरिएंस लेटर’ के बदले मांगी ‘3 महीने की सैलरी’
इलेक्टोरल बॉन्ड जड़: (FIR Against Nirmala Sitharaman)
इस पूरे मामले की जड़ इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम है, जिसे वर्ष 2018 में केंद्र सरकार द्वारा पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। इस योजना के तहत, नागरिक और कंपनियां किसी भी राजनीतिक दल को चुनावी बॉन्ड (Electoral Bonds) खरीदकर दान कर सकते थे। ऐसा करने वालों की पहचान गुप्त रखी जाती थी, जिसने स्कीम को संदेह के घेरे में डाल दिया। इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि कौन किस पार्टी को कितना दान दे रहा है, जिससे योजना की पारदर्शिता पर सवाल उठे।
विपक्षी दलों का आरोप था कि इस योजना के माध्यम से सत्ताधारी दल को अवैध रूप से फायदा पहुंचाया जा रहा है। आरोप यह भी लगाया गया कि यह योजना राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता लाने के बजाय धन उगाही के लिए एक साधन बन गई है। इस विवादास्पद योजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी, जिसके बाद चुनावी बॉन्ड योजना पर रोक लगा दी गई थी।
राजनीतिक हलकों में हड़कंप
बेंगलुरु की अदालत के इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। केंद्रीय वित्त मंत्री जैसे उच्च पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश एक बड़ा कदम माना जा रहा है। यह फैसला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए राजनीतिक रूप से मुश्किलें खड़ी कर सकता है, खासकर जब विपक्ष पहले से ही इस मुद्दे पर हमलावर है।
With an FIR ordered against FM Nirmala Sitharaman and others by the Special Court of People’s Representatives, Bengaluru, it’s time to demand accountability from those in power.
Waiting to see when the FM will step down on “moral grounds.”#NirmalaSitharaman #Corruption… pic.twitter.com/bNGg5EyYVA
— RR 🇮🇳 (@RakshaRamaiah) September 28, 2024
पुलिस की चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी
अब तिलक नगर पुलिस स्टेशन के अधिकारियों के लिए यह मामला एक चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी बन गया है। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी आरोपियों से निष्पक्ष और गहन पूछताछ की जाए और मामले की निष्पक्षता से जांच हो। पुलिस की इस मामले में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अदालत की भी कड़ी नजर रहेगी।
FIR Against Nirmala Sitharaman
अदालत के आदेश के बाद, इस मामले में आने वाली जांच और कोर्ट की कार्यवाही पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। अगर जांच में जबरन वसूली के आरोप सही साबित होते हैं, तो यह भाजपा के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। बेंगलुरु की अदालत का यह फैसला न केवल चुनावी बॉन्ड योजना के विवादों को पुनः उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि देश में न्यायपालिका राजनीतिक भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों के मामलों में गंभीर है। आने वाले दिनों में इस मामले में और भी कई दिलचस्प मोड़ देखने को मिल सकते हैं, जिससे भारतीय राजनीति में एक नई बहस छिड़ सकती है।