क्या EVM हैक हो सकते हैं? आपके मन में भी है सवाल, तो ये जरूर सुने!
क्या EVM सुरक्षित हैं? ☛ भले आपके मन में EVMs को लेकर शंका हो या न हो, लेकिन आपको एक बार पुलियाबाज़ी (Puliyabaazi) का ये पॉडकास्ट जरूर सुनना चाहिए!
EVMs ने वोटिंग प्रक्रिया में एक नई क्रांति को जन्म दिया है, इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता। लेकिन भारत में समय-समय पर तमाम राजनीतिक दल EVM की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह खड़े करते नजर आते रहे हैं। ऐसे में लोगों के बीच भी अक्सर एक सवाल सुनने को मिलता है कि क्या EVMs से वाकई छेड़छाड़ संभव है? क्या चुनाव प्रक्रिया का यह अहम टूल पूरी तरह सुरक्षित (Can EVMs be Hacked or Manipulated?) भी है?
कुछ ही दिनों पहले Elon Musk और भारत के पूर्व केंद्रीय आईटी मंत्री राजीव चंद्रशेखर के बीच भी EVMs हैकिंग मुद्दे को लेकर हल्की सोशल मीडिया वॉर देखनें को मिली, जिसके बाद यह विषय एक बार फिर चर्चा में आ गया। पहले से ही कई राजनीतिक दल EVM के बजाए बैलट-पेपर जैसे अन्य विकल्पों को अपनाए जाने की मांग उठा रहे हैं। लेकिन भारत में चुनाव आयोग (EC) लगातार ही EVM मशीनों को पूरी तरह सुरक्षित बताता रहा है।
Overview (Table of Contents)
Can EVMs be Hacked? | जवाब!
सच क्या है, चुनाव आयोग क्यों EVM पर भरोसा बनाए रखने की बात कहता है? इसको समझने के लिए आपको पुलियाबाज़ी (Puliyabaazi) का ये खास पॉडकास्ट एपिसोड सुनना चाहिए। सौरभ चंद्रा (Saurabh Chandra), प्रणय कोटस्थाने (Pranay Kotasthane) और ख्याति पाठक (Khyati Pathak) द्वारा संचालित किए जाने वाले पॉडकास्ट शो – Puliyabaazi के इस विशेष अंक में खुद भारत के पूर्व डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर और Electronic Voting Machines: The True Story के लेखक, अलोक शुक्ला बखूबी ईवीएम के हर अहम पहलू को समझाते सुने जा सकते हैं।
🔴 Listen Puliyabaazi Hindi Podcast 🎙 ☛ ” क्या EVM सुरक्षित हैं? ” (यहां सुनें!)
इस शो के दौरान अलोक शुक्ला ने बड़ी सरलता से यह समझाने की कोशिश की है कि कैसे EVMs कई सुरक्षा स्तरों के गुजरते हुए डिजाइन किए जाते हैं और मतदान प्रक्रिया की सटीकता और गोपनीयता को सुनिश्चित करने के क्या क्या तरीके अपनाए गए हैं।
बातचीत के दौरान जो एक दिलचस्प बात निकलकर आती है वह ये कि “दुनिया में कोई भी ऐसा सिस्टम नहीं जिसको हैक (Can EVMs be hacked) या किसी तरह के बग से प्रभावित न किया जा सके, लेकिन EVMs को इस लिहाज से तैयार किया गया है कि अगर इससे थोड़ी भी छेड़छाड़ की गई, तो तुरंत ही इसकी पहचान की जा सकती है। ऐसे में EVMs में गड़बड़ी कर चुनावों को किसी भी रूप में प्रभावित कर पाना लगभग असंभव हो जाता है।”
EVMs के बारे में:
1. डिज़ाइन और आर्किटेक्चर
EVMs स्टैंडअलोन, नॉन-नेटवर्कड डिवाइस हैं, मतलब ये कि इसमें GSM या ब्लूटूथ, WiFi जैसी किसी भी चीज का इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसके चलते इन मशीनों को दूरस्थ माध्यमों से (रिमोटली) हैक करना लगभग नामुमकिन सा हो जाता है।
घटक: EVMs मशीनों में दो मुख्य इकाइयाँ होती हैं – कंट्रोल यूनिट और बैलोटिंग यूनिट, जो केबल द्वारा जुड़ी होती हैं। आज कल नई EVMs को इलेक्ट्रिक सर्किट आदि की मदद से भी सील किए जाने जैसी बातें सामने आती हैं।
2. सुरक्षा विशेषताएं
रैंडमाइजेशन: मतदान केंद्रों को आवंटित करने के लिए EVMs का रैंडमाइजेशन किया जाता है ताकि किसी भी पूर्व नियोजित छेड़छाड़ को रोका जा सके।
VVPAT सिस्टम: वोटर वेरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) एक अतिरिक्त सत्यापन परत प्रदान करता है, जिससे मतदाता अपने वोट की पुष्टि कर सकते हैं।
3. सुरक्षा उपाय
चुनाव पूर्व जांच: चुनावों से पहले, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में EVMs की जांच की जाती है।
मॉक पोल्स: चुनाव के दिन, मशीनों के सही कार्य कर रहे होने की पुष्टि के लिए मॉक पोल्स आयोजित किए जाते हैं।
चुनाव पश्चात ऑडिट: EVMs और VVPAT पर्चियों का ऑडिट किया जा सकता है ताकि परिणामों की पुष्टि की जा सके।
4. स्वतंत्र समीक्षा
वैज्ञानिक सत्यापन: तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा किए गए कई स्वतंत्र अध्ययन और समीक्षाएं लगातार EVMs को सुरक्षित और विश्वसनीय पाती हैं। चुनाव आयोग राजनीतिक दलों को ईवीएम की सुरक्षा सुनिश्चित करने या जांच आदि के लिए आमंत्रित करता है।
एपिसोड में चर्चा किए गए मुख्य बिंदु:
हैकिंग
- प्रश्न: EVMs को दूरस्थ रूप से हैक किया जा सकता है।
- वास्तविकता: EVMs किसी भी नेटवर्क से जुड़े नहीं होते, जिससे दूरस्थ हैकिंग असंभव हो जाती है।
मशीन या प्रोग्रामिंग बदलना
- प्रश्न: EVMs को किसी उम्मीदवार के पक्ष में पहले से प्रोग्राम या बदला जा सकता है।
- वास्तविकता: EVMs का रैंडम आवंटन और व कठोर जांच किसी भी प्रकार की पूर्व-प्रोग्रामिंग या मशीन बदलने की गुंजाइश को खत्म कर देती है।
मतदान के बाद हेराफेरी
- प्रश्न: मतदान के बाद वोटों में हेराफेरी की जा सकती है।
- वास्तविकता: छेड़छाड़-रोधी डिज़ाइन और VVPAT सिस्टम सुनिश्चित करते हैं कि वोट सुरक्षित और सत्यापन योग्य हैं।
ये भी पढ़ें:
- Tata Trusts Small Animal Hospital जनता के लिए खुला
- Fitter Banega India: सस्टेनेबल फिटनेस के लिए Food Pharmer की नई पहल
विस्तृत सुरक्षा उपायों और पारदर्शिता के साथ, ऐसा लगता है कि EVMs पर उठने वाले सवाल (Can EVMs be hacked or manipulated) अधिकतर तथ्यों से ज्यादा मिथकों पर आधारित है। वैसे भले आपके मन में EVMs को लेकर शंका हो या न हो, लेकिन आपको एक बार ये पॉडकास्ट जरूर सुनना चाहिए। इससे EVMs के इतिहास से लेकर भारत में चुनाव के बदलते स्वरूप को भी समझने में मदद मिल सकती है।