Burger King पुणे जीता, अमेरिका के ‘बर्गर किंग’ की हार, 13 साल बात फैसला
पुणे के बर्गर किंग (Burger King Pune) ने अमेरिकी फास्ट-फूड चेन – बर्गर किंग कॉर्पोरेशन के खिलाफ ट्रेडमार्क विवाद में जीत दर्ज की है।
Burger King Pune Wins Case Against US Food Chain Giant | पुणे के एक कोर्ट ने 13 साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद स्थानीय बर्गर किंग के पक्ष में फैसला सुनाया है। इस मामले की शुरुआत अमेरिकी फास्ट-फूड चेन बर्गर किंग कॉर्पोरेशन द्वारा 2011 में दायर किए गए एक मुकदमे से हुई थी। अमेरिकी कंपनी ने पुणे स्थित इस रेस्टोरेंट पर नाम के उपयोग को रोकने और मुआवजा देने की मांग की थी। 16 अगस्त 2024 को कोर्ट ने इस मुकदमे को खारिज कर दिया, जिससे स्थानीय बर्गर किंग ने राहत की सांस ली।
Burger King Pune Vs US: इतिहास और विवाद का आरंभ
अमेरिकी बर्गर किंग ने 1954 में अपना कारोबार शुरू किया और आज दुनिया भर के 122 से अधिक देशों में इसका ट्रेडमार्क पंजीकृत है, जिसमें भारत भी शामिल है। 2011 में, जब बर्गर किंग ने यह पाया कि पुणे के एक ईरानी दंपत्ति उनके नाम से अपना रेस्टोरेंट चला रहे हैं, तो उन्होंने इस पर आपत्ति जताई और कोर्ट में मुकदमा दायर किया। उन्होंने तर्क दिया कि यह ट्रेडमार्क का उल्लंघन है और स्थानीय व्यवसाय को नाम बदलने व मुआवजा देने के लिए कहा।
पुणे के बर्गर किंग (Burger King Pune) की दलीलें
पुणे स्थित बर्गर किंग का संचालन कर रहे ईरानी दंपत्ति ने कोर्ट में तर्क दिया कि वे 1992 से इस नाम का उपयोग कर रहे हैं, जो कि अमेरिकी बर्गर किंग के भारत में प्रवेश से काफी पहले की बात है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका इरादा किसी को भ्रमित करने का नहीं था और उनके रेस्टोरेंट और अमेरिकी कंपनी के बीच कोई कंफ्यूजन नहीं है। इसके अलावा, दंपत्ति ने यह भी दावा किया कि उस समय बर्गर किंग नाम भारत में प्रसिद्ध नहीं था।
कोर्ट का फैसला
पुणे कोर्ट ने दोनों पक्षों द्वारा मुआवजे के लिए पेश किए गए सबूतों को अपर्याप्त पाया। कोर्ट ने यह भी कहा कि अमेरिकी बर्गर किंग द्वारा स्थानीय बर्गर किंग को नाम बदलने का निर्देश देने की मांग भी अस्वीकार्य है, क्योंकि इसके लिए भी पर्याप्त सबूत नहीं हैं। परिणामस्वरूप, 13 साल की लंबी कानूनी लड़ाई का अंत हुआ और पुणे स्थित बर्गर किंग को उनके नाम का उपयोग जारी रखने की अनुमति मिली।
बर्गर किंग विवाद: मुकदमे से उठे सवाल
पक्ष | तर्क |
---|---|
अमेरिकी बर्गर किंग | ट्रेडमार्क उल्लंघन का आरोप, नाम बदलने और मुआवजे की मांग |
पुणे का बर्गर किंग | 1992 से नाम का उपयोग, भ्रम का इरादा नहीं, मुआवजे की मांग |
FAQs
पुणे के बर्गर किंग ने यह नाम कब से इस्तेमाल किया?
पुणे के बर्गर किंग ने 1992 से इस नाम का उपयोग किया है, जो अमेरिकी बर्गर किंग के भारत में आने से पहले की बात है।
अमेरिकी बर्गर किंग ने कब मुकदमा दायर किया था?
US बर्गर किंग ने 2011 में पुणे के बर्गर किंग के खिलाफ मुकदमा दायर किया था।
कोर्ट का फैसला क्या रहा?
अदालत ने अमेरिकी बर्गर किंग के मुकदमे को खारिज करते हुए पुणे के बर्गर किंग को उनके नाम का उपयोग जारी रखने की अनुमति दी।
क्या पुणे के बर्गर किंग ने कोई मुआवजा प्राप्त किया?
नहीं, कोर्ट ने पाया कि दोनों पक्षों ने अपने मुआवजे के दावों के लिए पर्याप्त सबूत नहीं पेश किए, इसलिए किसी को भी मुआवजा नहीं दिया गया।
इस फैसले का महत्व क्या है?
यह फैसला छोटे व्यवसायों के लिए एक मिसाल है, जिसमें दिखाया गया है कि अगर वे सही तरीके से अपनी पहचान बनाए रखें तो वे बड़े ब्रांडों के खिलाफ अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं।
ये भी पढ़ें: Zomato Group Ordering फीचर: ग्रुप ऑर्डर का मतलब व इस्तेमाल का तरीका