‘Brahmin Genes’ पोस्ट को लेकर आलोचकों को Entrepreneur अनुराधा तिवारी ने दिया जवाब
‘ब्राह्मण जीन’ (Brahmin Genes) कैप्शन वाले पोस्ट पर आ रही प्रतिक्रियाओं पर बेंगलुरु आधारित उद्यमी अनुराधा तिवारी ने बेबाकी से व्यक्त की अपनी राय। जानिए उन्होंने क्या कुछ कहा?
Anuradha Tiwari Sparks Debate with ‘Brahmin Genes’ Post, Responds to Backlash | बेंगलुरु शहर की एक उद्यमी और कंटेंट मार्केटिंग कंपनी की सीईओ अनुराधा तिवारी ने हाल ही में सोशल मीडिया एक पोस्ट किया। अपने इस पोस्ट में अनुराधा ने अपनी जाति का उल्लेख करते हुए बतौर कैप्शन ‘ब्राह्मण जीन‘ (Brahmin Genes) का जिक्र किया। इसके बाद सोशल मीडिया पर उन्हें कुछ तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। लेकिन अनुराधा ने अब बिना झिझक अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया है और अपनी ब्राह्मण पहचान पर गर्व करने का भी आह्वान किया।
Brahmin Genes पोस्ट हुआ वायरल
अनुराधा तिवारी ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक फोटो शेयर की थी, जो दरअसल उनकी ही एक फोटो थी। उन्होंने इस फोटो के साथ कैप्शन में लिखा, “ब्राह्मण जीन।” इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। इस पोस्ट को लेकर कई यूजर्स ने उनपर जातिगत श्रेष्ठता का प्रचार करने का आरोप लगाया।
Brahmin genes 💪 pic.twitter.com/MCcRnviJcY
— Anuradha Tiwari (@talk2anuradha) August 22, 2024
इसको लेकर शनिवार को, अनुराधा ने अपने आलोचकों को जवाब देते हुए कहा, “पूरा एक सिस्टम है जो ब्राह्मणों को उनके अस्तित्व के लिए दोषी महसूस कराने की कोशिश कर रहा है।” उन्होंने व्यंग्यात्मक रूप में कहा कि जहां दलित, मुस्लिम, या आदिवासी पहचान पर गर्व करना स्वीकार्य है, वहीं ब्राह्मण होने पर गर्व करना गलत माना जा रहा है। अनुराधा ने कहा (अनुवादित स्वरूप), “अब इस कहानी को बदलने का समय आ गया है। एक बेबाक ब्राह्मण बनें। इसे गर्व से दर्शाएं। तथाकथित सामाजिक न्याय के योद्धाओं को जलने दें।”
Proud Dalit/Muslim/Tribal – Okay
Proud Brahmin – Not okayThere is an entire system working to make Brahmins feel guilty for their very existence.
Time to change this narrative. Be an unapologetic Brahmin. Wear it on your sleeve. Let the so-called social justice warriors burn.
— Anuradha Tiwari (@talk2anuradha) August 24, 2024
इसके पहले भी अनुराधा ने अपने पोस्ट कैप्शन के चलते सोशल मीडिया पर मचे शोर को लेकर कहा था, “जैसा कि अपेक्षित था, ‘ब्राह्मण’ शब्द के मात्र उल्लेख से ही कई लोग बेचैन हो उठे। असली जातिवादी कौन हैं, इसके बारे में यह प्रवृत्ति बहुत कुछ बताती है। UCs (अपर कास्ट) को सिस्टम से कुछ नहीं मिलता – कोई आरक्षण नहीं, कोई मुफ़्त चीज़ नहीं। हम सब कुछ अपने दम पर कमाते हैं और हमें अपने वंश पर गर्व करने का पूरा अधिकार है।”
जातिगत आरक्षण पर अनुराधा तिवारी की राय
TEDx स्पीकर रही अनुराधा अपने X बायो में भी आरक्षण के मुद्दे पर खुलकर अपनी राय व्यक्त करती हैं। उन्होंने लिखा है, “एक परिवार, एक आरक्षण” (One Family One Reservation)। अनुराधा का मानना है कि आरक्षण के चलते सामान्य वर्ग के लोगों के साथ भेदभाव जैसी स्थिति देखनें को मिलती है और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित सा रखा जा रहा है।
उनके प्रोफाइल पर पिन किए गए पोस्ट में वह लिखती हैं, “मैं सामान्य वर्ग की छात्रा हूं। मेरे पूर्वजों ने मुझे 0.00 एकड़ भूमि दी है। मैं किराये के मकान में रहती हूँ। मुझे 95% अंक प्राप्त करने के बावजूद प्रवेश नहीं मिल सका, लेकिन मेरे सहपाठी, जिन्होंने 60% अंक प्राप्त किए और एक अच्छे परिवार से आते हैं, उन्हें प्रवेश मिल गया। और आप मुझसे पूछते हैं कि मुझे आरक्षण से दिक्कत क्यों है?”
अनुराधा ने बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट के हाल के एक फैसले को लेकर भी बेबाक़ी से अपनी राय व्यक्त की थी। उन्होंने एक पोस्ट में लिखा कि आरक्षित वर्ग के अमीर लोग SC/ST उपवर्गीकरण का विरोध क्यों कर रहे हैं? उनके पास कोचिंग के लिए पर्याप्त पैसे हैं, फिर उन्हें कम कट-ऑफ लाभ की आवश्यकता क्यों है? उनका आगे लिखा कि सामान्य वर्ग हमेशा से योग्यता के आधार पर प्रतिस्पर्धा कर रहा है।
Why these rich Reserved category folks are opposing SC/ST sub-classification? You have plenty of money for coaching, so why you need those low cut-off benefits?
General category has always been competing on a merit basis. Why are you so scared then?
— Anuradha Tiwari (@talk2anuradha) August 11, 2024
अनुराधा तिवारी के इस स्टैंड ने दिया नया दृष्टिकोण
फिलहाल अनुराधा के सिर्फ एक पोस्ट ने मानों सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर बहस को पुनः छेड़ दिया है। कुछ लोग उनके विचारों से सहमत हैं और मानते हैं कि जातिगत भेदभाव को समाप्त करने के लिए हर किसी को समान अवसर मिलने चाहिए। वहीं, दूसरी ओर, कई लोग उनकी टिप्पणियों को जातिगत भेदभाव और असमानता को बढ़ावा देने वाला मानते हैं।
इस पूरे विवाद ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या आज के समय में जातिगत पहचान पर गर्व करना उचित है, या फिर ये समाज में और अधिक भेदभाव को जन्म दे सकता है? लेकिन निश्चित रूप से अनुराधा तिवारी के इस स्टैंड ने इस मुद्दे को ‘एक नए दृष्टिकोण‘ से देखने के लिए मजबूर कर दिया है।
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